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________________ था कि, पशु को भी वश में करने की शक्ति उनमें रहने न पाई / वृद्धों ने भी कहा है कि, जिस कुटुंब का अग्रेसर, समाज का नायक, देश का अधिनायक, उपरांत शिक्षक, प्रोफेसर, प्रिन्सीपल, सेना, सेनापति, फौजदार तथा राज्य का कर्मचारी यदि शराबी है तो समझना सरल होगा कि प्रकारान्तर से देश को, समाज को तथा कुटुंब को बर्बाद, गुलाम या भूखे मरने का ही शेष रहेगा। परमदयालु परमात्मा कुएँ में, वाव में, वर्षात में, अमृत-सा पानी तथा गाय, भैंस, बकरी और स्त्री के स्तनों में इन्सान मात्र का रुष्ट पुष्ट करानेवाला दूध दिया है, जब शैतान के सड़े हुए मस्तिष्क स उत्पादित शराब ईश्वरीय नहीं होने से त्याज्य है, सर्वथा त्याज्य हैं। ईश्वर का भक्त या ईश्वरीय तत्व की चर्चा करनेवाला इन्सान पानी तथा दूध पीने वाला होगा, जब शराबी इन्सान हर हालत में भी परमात्मा का, धार्मिकता का, खानदान का तथा अपनी आत्मा का आशीर्वाद भी प्राप्त करने में सफल होता नहीं है। इस नगरी का दधिपर्ण राजा शरावी होने के कारण निस्तेज था, इसी कारण से अपने महल पर चढ़ कर. उद्घोषणा करते हुए बोले कि, जो भी इन्सान इस हाथी को वश में करेगा और हस्तिशाला में लाकर वांधेगा उसे उसकी इच्छानुसार द्रव्य दिया जायेगा अतः मेरे राज्य में जो भी वहादुर हो वह इस हाथी को वश करे। नगरवासीयों ने, सिपाहियों ने, मंत्रीओं ने तथा उस कुब्ज ने भी राजा की यह घोषणा सुनी। कुब्ज को छोड़कर शेष सभी किंकर्तव्यमूढ़ होने से लाचार थे, जब कुब्ज सबों के मध्य में आकर बोला, हाथी कहां पर है ? मुझे उधर ले चलो ? भैंस के सामने उस पशु को वश करने में समर्थ हूँ। तत्पश्चात् वह कुब्ज जिस मार्ग में हाथी था उसी तरफ गया और मन्दोन्मत हाथी भी कुब्ज को अपना प्रतिस्पर्धी मान कर तूफान मचाना चालू करता है 114 P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036461
Book TitleNal Damayanti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnanandvijay
PublisherPurnanandvijay
Publication Year1990
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size90 MB
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