________________ 14. णायकुमारचरिउ संस्करण हेतु उपयोगमें ली गयीं पांच प्राचीन हस्तलिखित प्रतियोंमें-से तीनमें जो टिपण प्राप्त हुए थे, उन्हें उसी समय मैंने अलगसे लिख लिया था और वे मेरे संग्रहमें अभी तक सुरक्षित थे। उन्हें भी संशोधितकर इस संस्करणमें समाविष्ट कर दिया गया है। ग्रन्थके सम्बन्ध में जो आवश्यक जानकारी इंगलिश इंट्रोडक्शन में दो गयी थी उसका आवश्यक भाग नये रूपमें यहाँ हिन्दी प्रस्तावनामें भी दे दिया गया है। आशा है कि इन विशेषताओंके साथ तैयार किया गया णायकुमारचरिउका यह द्वितीय संस्करण विद्वानों, शोधछात्रों तथा अन्य सभी साहित्यप्रेमियोंको उपयोगी सिद्ध होगा। बालाघाट (म.प्र.) 15 मई 1972 -हीरालाल जैन P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust