________________ ॐASTERS RAA अर्थ-पूर्व भवमां करेला कर्मना उदयथी कोइ दिवस तेने पगथी मांडीने गळा सुधी शरीरे दृष्ट कोढ रोग उद्भव पाम्यो, तेथी ते नाभाका सदैव गळा सुधी वस्त्रथी आच्छादित थइनेज रहे छे / 155 // चरित्रं कदाचित प्राढपापर्धि-रपि पापड़िहेतवे / तत्सामग्रीयुतः प्राप, श्वापदानां पदं वनम् // 156 // अर्थ-चन्द्रादित्य कर्मना उदयथी पूर्व करेला अतिशय पापर्नु फळ भोगवी रह्यो हतो, छतां हजु सुधी तेनी बुद्धि ठेकाणे न आवी, 4 अने दुष्ट मतिथी विवेकहीनबनेलो ते राजा शिकार करवा माटे शिकारी पशुओथीव्याप्त बनेलावनमां शिकारनी सामग्रीयुक्त थइने गयो। तत्र रङ्गन्तुरड्रेण, कुरङ्गवधरङ्गतः। धावमानो मुनि कायो-सर्गस्थं वोक्ष्य पृष्टवान् // 157 // / अर्थ-चनमां पूर वेगथी दोडता घोडा बड़े हरणीयाओनो वध करवाने आशक्त बनेला अने तेओनी पाछळ पडेला ते राजाए का18/ उसग्गमा रहेला एक मुनिने देखी पूच्यु के-॥१५७॥ कस्यां दिशि मृगा जग्मु-स्त्रिः प्रोक्ते नाऽवदन्मुनिः / राजा जिघांसुर्बाणेन, तमपिस्तम्भितोऽभितः // 15 // अर्थ-'मृगलाओ कइ दिशामां गया छे ?' आ प्रमाणे त्रण वखत चन्द्रादित्ये पूछवा छतां मुनिराज कांइ बोल्या नहीं, त्यारे ते मु-है। जिने पण बाण वडे हणवानी इच्छावाळो चन्द्रादित्य तैयार थयो / 158 / / 18...कायोत्सर्ग पारयित्वा, मुनिस्तारस्वरं जगी। प्राच्याच्छटसि नाऽयापि, नव्यं च कथमर्जसे? // 159 // अर्थ-मुनिए काउसग्ग पारीने अतीच गंभिर स्वरे का के–'हजु सुधी पूर्वना बांधेला कर्मथी तो छूटतो नथी, अने नवां कर्मो केम बांधे छे?' 8 ke Gunratnasuri M.S . ..1 Jun Gun Aaradhak