________________ || चरित्र. // 5 // वडे तिरस्कार पामेली भोगावती नारी रसातलमा चाली गइ ते युक्त ज थयु छे. कारण के ते भोगावती नगरी, | मस्तकने विषे स्फुरायमाणं उत्तम शेषमणिवाळा एकज भोगीश वडे शोभती छे, ज्यारे आ नगरीमा अनेक भोगीशो एटले समर्थ भोगीओ रहे छे / वळी भोगावती नगरीमा रहेता भोगीश एटले शेषनागना मस्तकने विषे ज रत्न-मणि | छे, ज्यारे आ नगरीमा वसता सेंकडो भोगीशोने सर्वांगें रत्नोनां आभूषणो छ / आ प्रमाणे क्षितिप्रतिष्ठित नगरीथी | दरेकरीते उतरती भोगावती नगरी लज्जा पाीने रसातलमा चाली गइ छ // 8 // - तत्र श्रीमान् महारूप-निरूपितपुरन्दरः। राजा नामाकनामाऽभूद्, अभूमिः पापताफ्योः // 9 // भावार्थ-तें नगरने विषे समृद्धिमान, पोतानां अलौकिक सौंदर्य वडे दृष्टान्तभूत करेलो छे इन्द्रने जेणे एवो, तथा पाप अने संतापर्नु ३अस्थान नाभाक नामनो राजा इतो // 9 // . . . पुरा कलाकेलिरनङ्गभावं, ... वधूद्धयेनापि जगाम दिव्यन् / भोगावती नामनी सर्पनी नगरी पातालमा छे, अने तेमा संपोनों स्वामी शेषनाग रहे थे, एवो कविसमय छ। 3 भोगी एरले सपो, तेभोनो ईश एटले स्वामी-शेषनाग / 3 दुष्ट कार्यों तथा संताप करतो ज नहीं। Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.