________________ ना. . 68 ___ भावार्थ-मातः समय मुनिए. काउसंग्ग पार्यों, त्यारे भानुएँ नमस्कार करीने पूछयु के-'महाराज ! तमारे || कोइ मोटुं राज्य मेळवद् छे के जेथी आवी घोर अने असह्य तपश्चर्या करों छो 1.5 // 186 // .. मुनिः प्रोचे न राज्येन, कार्य नरकहेतुना। किन्तु मोक्षकृते सर्व-साधुभिस्तप्यते तपः // 187 // भावार्थ-मुनिए जवाब प्यो के-'नरकगति प्राप्त यवाना कारणभूत राज्य मारे काइ पण काम नथी, || परंतु सर्वे साधुओ मोक्ष मेळवा माटे तपश्चर्या करें छे // 187 // ....... को मोक्ष इति तेनाऽपि, पृष्टः साधुरभाषत। . .. संसार-मोक्षयोळक्तं, स्वरूपं बटुयुक्तिभिः॥१८॥ भावार्थ-मानुए पूछयु के-'मोक्ष एटले शृं?" त्यारे मुनिराजे तेने संसार अने मोक्षवें स्पष्ट स्वरूप घणीज युक्तिपूर्वक समजाव्यु // 18 // असौ जन्मजरामृत्यु-मुख्यक्लेशसहस्रः। . चतुर्गतिकसंसार, कस्क स्यान विरक्तये ?. // 189 // . ................ PP.AC.Gunratnasuri M.S. IT GUTTAaraunaK Trust