________________ भुक्त्वा सुखं नीतिपथं विधाय, तप्त्वा तपो ज्ञानमनन्तमाप // 17 // भावार्थ-पहेला तेमणे सुनंदा अने सुमंगला नामनी बे कन्याओ साथे विवाह करी, सांसारिक मुख भोगवी, || नाभाक नीतिमार्ग प्रवर्तावी, भरत बाहुबलि विगेरे पोताना सो पुत्रोने जुदु जुदु राज्य बहेंची आपी दीक्षा ग्रहण करी. त्यार || नाव पछी अनेक प्रकारना दुस्सह तप तपी केवलज्ञान // 17 // ततः स धर्म दशोपदिश्य, प्रबोधयन् भारतभव्यसत्त्वान् / .शैले सुराष्ट्राभरणेऽधिरुह्य, कचित् प्रियालुद्रुतलं सिषेव // 18 // भावार्थ-त्यार बाद प्रभु श्रीआदीश्वर क्षमादिक दस प्रकारना धर्मनो उपदेश करीने भारतवर्षना सर्व प्राणीवर्गने प्रतिबोध करता थका सौराष्ट्र ( सौरठ ) देशना आभूषणतुल्य श्रीशत्रुजय पर्वतपर चडीने रायणक्षनी नीचे ध्यानारूढ थया // 18 // Jun Gun Aaradhak Trust PPP.AC.GunratnasuriM.S. .