________________ मृगांक IM चरित्रम् // 42 // अर्थ:-ते गाममाथी चोरे चोरेली अनेक वस्तुओं राजानी आज्ञाथी जन-समूहे लेइ लीधो. // 93 // जनाः सर्वेऽपि सन्तुष्टाः कुमारायाशिषं ददुः। दृष्ट्वा तस्य कुमारस्य कार्यमेतद्रीयसम् // 94 // ___ अर्थ:-ते सहस्रांकनु आवु मोटुं कार्य जोइने सर्व लोको संतुष्ट थया थका तेने आशीप आपवा लाग्या. // 94 // खर्यऽवस्वापिनी विद्या तालकोद्घाटनी तथा / तथा रूपकरी विद्या विदुषां वल्लभा सदा // 95 // ____ अर्थः -- उत्तम एवी आकाशगामिनी विद्या, अवस्वापिनी विद्या, तालकोद्घाटिनी विद्या तथा विद्वानोने हमेशां मिय एवी रूपपरावर्तिनी विद्या / / 95 // चतस्रस्तस्करादेता विद्या जग्राह तत्क्षणम् / कुमारसहसाङ्को हि सत्त्ववान् सुजनप्रियः // 96 // | ___अर्थः-ए चारे विद्या ते चोर पासेथी तुरतज सज्जनप्रिय अने बळवान एवा सहस्रांके खरेखर ग्रहण करी. // 96 // || कुमारानुगृहाद्राज्ञा कर्षितो देशतो बहिः। अवध्य इति निश्चित्य तस्करो निजचेतसि // 97 // ___ अर्थः-बाद राजाए ते चोरने कुमारना आग्रहथी देशपार कर्यो, अने चोर पण पोताने अवध्य मानीने निश्चित थयो. // नगर्या जयकारो हि तस्मिन् जातो विशेषतः। तस्करकर्षणादेव कुमारोऽपि स हर्षितः // 98 // II // अर्थः-चोरने देशपार थयो मानीने नगरमा विशेष प्रकारे जयजयकार थयो, अने कुमार पण हर्षित थयो. // 98 // " .. .. A PP.AC.GunratnasuriM.S. . . Jun Gun Aaradhak Trust