________________ P.P.A. Gunratnasuti MS * इत्युक्त्वा निजवृत्तांतं, प्रोणिताशेषसऊनः // नूपतेराग्रहात्तस्यौ, कियत्कालं स खेचरः 340 अनुशाप्य महीनाथमन्येद्युः श्यामया सह // कृत्वा विमानमारुह्य, ययौ वैताव्यपर्वतम् 340 ए प्रमाणे पोतानुं वृत्तांत कही सर्व सजनोने प्रसन्न करनारो ते विद्याधर कीर्तिचंद्र राजाना आग्रहथी केटलाक दिवस त्यां रह्यो. // 349 // पछी कोइ बखते रत्नाभ विद्याधर कीर्तिचंद्र राजानी रजा लइ श्यामा सहित वैमान नपर बेसीने वैनाढय पवेत उपर गयो. // 350 // संपूर्णदोहदा सेयमि देवी यशोमतो // समये सुषुवे पुत्रं, पवित्रद्युतिशालिनम् // 35 al अतुलमुत्सवं कृत्वा, सर्वत्र नगरे निजे // सिंहनाद इति प्रोत्या, तस्मै नाम ददौ पिता॥३५॥ हवे आ प्रमाणे पूर्ण थएला दोहदवाली यशोमतो राणोये अवसरे पवित्र कांतिथी सुशोभित एवा एक पत्रI ने जन्म आप्यो. // 351 // पिता कोर्तिचंद्र राजाए पोताना सर्व नगरमा म्होटो उत्सव करीने मितीथी तेनं * सिंहनाद नाम पाडयु. // 352 // कलाकलापकौशल्य-वल्लीवासमहोरुहः॥ लसल्लावण्यलीलावांस्तारं तारुण्यमाप सः॥३३॥ ततो विजयसेनाख्यो, विजयायाः सुतोऽन्नवत् // क्रमेण ववृ सोऽपि, कलालावणयबंधरः॥ कलाना समूहनी कौशलतारूप वेलने निवास करवामां वृक्षरुप तथा लचकता लावण्यनो लोलाबालो ते * कुमार उत्तम एवी यौवनावस्था पाम्यो. // 353 // पछो विज्याराणीने पण विजयसेन नामनो पुत्र थयो. ते पण कलाना समूहनो जाण एवो अनुक्रमे वृद्धि पाम्यो. // 354 // * शत्रुमर्दनन्नूपस्य, दे कन्ये परिणायितौ // तौ हावपि मुदा कोडां, चक्रतुःस्वेच्छया सदा 34 | अन्येापतिःप्राह, मंत्रिणं प्रति धर्मधीः॥ स्वराज्यं सिंहनादाय, दत्वा लास्यामि संयममा ___ कीर्तिचंद्र राजाए ते बन्ने पुत्रोने शत्रुमर्दन राजानी वे पुत्रीनो साथे परणाव्या. पछी ते बन्ने कमारोपण पोतानी इच्छा प्रमाणे निरंतर हपैथी क्रीडा करवा लाग्या. // 355 // कोइ वखते धर्मबुद्धिवाला कीर्तिचंद्र राजाए मंत्रोने कह्यु के, म्हारुं राज्य सिंहनादने आपी हुं चारित्र लइश. // 356 // Jun Gun Aaradhak Trust