________________ द्विपृष्ट सान्वय चरित्रं भाषांतर // 4 // SARSUSAGARA - अन्वयः-(हे) नाथ! जानासि, इह एव भरतार्थ भू पुण्य पाकेन जातं साकेतं इति विश्रुतं पत्तनं अस्ति. // 9 // . अर्थः-हे स्वामी !.आप जाणो छोके, आज भरतार्धमां, जाणे पृथ्वीना पुण्यना उदयथी उत्पन्न थयेलं, साकेतनामनुं प्रख्यात नगर छे. // 9 // तत्रास्ति राजा शौर्यश्रीकेलिजङ्गमपर्वतः। पर्वतो नाम संग्रामयशःप्रसरनिर्झरः // 10 // अन्वयः-तत्र संग्राम यशः प्रसर निर्झरः, शौर्य श्री केलि जंगम पर्वतः पर्वतः नाम राजा अस्ति. // 10 // अर्थः-ते नगरमां संग्राममां मळेला यशना विस्ताररूपी झरणाओवाळो, अने शौर्य लक्ष्मीने क्रीडा करवाना जंगम पर्वत सरखो पर्वत नामे राजा छे. // 10 // यममृत्युद्वयीधारः कालो यत्खङ्गतां दध / स्वेच्छया हन्त हन्त्येव हन्तव्यानहतोदयः // 11 // ___ अन्वय-पम मृत्यु द्वनी धार' काल. यत् खड्गतां दधत्, अहत उदयः हंत हंतव्यान् स्वेच्छया हंति एव. // 11 // अर्थ.-यम अने मृत्युरूपी बेधारवाळो क.ल, जे राजाना खड्गपणाने धारण करीने, अटकाव रहित उदयवाळो थयो थको हणवालायक शत्रुओने स्वेच्छापूर्वक हणेज छे. // 11 // रजोभिरश्वपादोत्थैर्गजोत्थैश्च मदाम्बुभिः / यत्सेना भाति संहारसृष्टिकृद्वारिधेरपि // 12 // अन्वयः यत् सेना अश्व पाद उत्थैः रजोभिः, च गजोत्यैः मद अंबुभिः वारिधेः अपि संहार सृष्टिकृत् भाति. // 12 // SOSORUSAUGO BOSS P.P.AC.Gurramasur M.S. un Gun Aaradhak Trust