________________ सान्वय चरित्रं // 33 // अर्थः-शत्रुओना तेजरूपी अग्निथी उत्पन्न थयेलां वादळांओसरखा हाथीओ मदनो वरसाद वरसावते छते, पतंगीयांओसरखा, दांतोना घातोथी उत्पन्न थयेला तणखाओ दीपवा लाग्या. // 10 // | भाषांतर सायकाः शाकिनीमन्त्रा इव स्यन्दनशालिनाम् / अदृष्टा एव वध्याङ्गप्रविष्टा रुधिरं पपुः // 11 // | . अन्वयः-स्पंदन शालिनां सायकाः शाकिनी मंत्राः इव, अदृष्टाः एव वध्य अंग प्रविष्टाः रुधिरं पपुः // 11 // // 33 // अर्थः-रथोवडे मनोहर ( रथोमां बेठेला ) सुभटोनां बाणो शाकिनीओना मंत्रोनीपेठे अदृश्यपणेज शत्रुओना शरीरोमां दाखल थइने रुधिर पीवा लाग्या. // 11 // वाहवद्भिर्मणिश्रेणिसन्नाहातिवेणिभीः / नाबोधि रुधिरं निर्यतादृक्शल्यप्रहारजम् // 12 // ____ अन्वयः-मणि श्रेणि सन्नाह द्युति वेणिभिः वाहवद्भिः, तादृक शल्य प्रहार जं नियंत रुधिरं न अवोधि. // 12 // अर्थः-मणिओनी श्रेणिओवाळां बख्तरोनी कांतिओनी हारवाळा घोडेस्वारोए तेवा प्रकारना भालांओना प्रहारथी उत्पन्न थये- | लां, अने (शरीरमाथी बहार) निकळतां रुधिरने जाणी पण शक्या नही. // 12 // सन्नाहशस्त्रदण्डास्थिखण्डानां त्रुटतां खनैः / नतां घोषैश्च घोरोऽभून्मृत्योरपि भिये क्षणः // 13 // __ अन्वयः-त्रुटतां सन्नाह शस्त्र दंड अस्थि खंडानां स्वनैः, च नतां घोपैः घोरः क्षणः मृत्योः अपि मिये अभूत् // 13 // अर्थः-त्रुटी पडतां बख्तरो, शस्त्रो, दंडो तथा हाडकाओना टुकडाओना शब्दोथी, तथा घायल थता सुभटोना आर्तनादोथी प्रचंड ||2|| P.P.AC.Gunramour M.S. un Gun Aaradhak Trust