________________ __धर्मः कृता सर्वापि सामग्री / सीताश्च धीवराः // समारूढाश्च निःशेषा / वणिजः सुजटास्तथा // 5 // अथाशेषं निजं लोकं / सम्यक्संभाष्य सादरं // विसृष्टवांश्च सन्मान्य / तांबूलादिनिरंज सा // 6 // अनेकनटसंयुक्तः / शुजालंकारधारकः // भूरिडव्यप्रदानेन / पूरितार्थिमनोरयः // 7 // __ 365 गत्वा पोते समारूढो / बंदिगीतयशास्ततः // हेलयाहतसत्तूर्य-शब्दैरापूरितांवरः // // कृतपू. जोपचारश्च / योषानिर्गीतमंगलः // कृतकोलाहलो लोकै-यथास्थानस्थितप्रजः // // जब नमुखश्चार–चामरैरुपवी जतः // नदिप्तनंगरो मुक्त-पोतः पूर्णमनोरथः // 10 // शीघं गंतुं प्र. वृत्तोऽसौ / पृष्टतः पवनेरितः // एष याति गतो दूरं / दृश्यते नैव लोचनैः // 11 // पंचभिः कुल. कं // इत्युक्त्वा वलितो लोको / गतो निजनिजे गृहे // पोतोऽपि वायुवेगेन / लंघित्वा लघुसा. गरं // 12 // रत्नमेखलनामानं / दीपं प्राप्तस्ततो धृतः॥ पोतादुत्तार्य नामानि / श्रेष्टिना राशयः कृताः // 13 // युग्मं / / यथास्थानं स्थितो लोकः / श्रेष्टी जातो निराकुलः // भुक्तेऽपि ते निरा बाधे / जाते पोतजनेऽखिले // 14 // पुरंदरपुरावासी / लोजनंदिरिति श्रुतः // वणिक् च नाम| तः श्रेष्टी / कर्मतः पापकर्मकृत् // 15 // अत्रैव च पुरे मंत्री। काणो मायानिकेतनं // वसतिस्म | Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.