________________ // श्रीजिनाय नमः // // श्रीचारित्रविजयगुरुन्यो नमः // // अथ श्रीधर्मरत्नकरंम्टीका प्रारभ्यते // // प्रथमो नागः॥ ( कर्ता-श्रीवर्धमानसूरिः) छपावी प्रसिद्ध करनार-पंमित श्रावक होरालाल हंसराज. ( जामनगरवाळा ) प्रणम्य श्रीजिनं वीरं / वीरितांतरशात्रवं // कल्पडुममिवानल्प-संकल्पितफलप्रदं // 1 // यथाबोधं विबुद्धीनां / सुखसंबोधहेतवे // वदये वृत्तिं समासेन / धर्मरत्नकरंमके // 2 // तत्र ता. वदादावेव प्रकरणकारः शिष्टसमयप्रतिपालनाय प्रत्यूहव्यूहव्यपोहकृतेऽनीष्टदेवतानमस्काररूपनावमं. गलानिधानार्थ प्रयोजनादित्रयप्रतिपादनार्थ च श्लोकचतुष्टयमुपन्यस्तवान्, तद्यथा // मूलम् ॥-सर्वनीतिप्रणेतारं / सर्वधर्मप्रदर्शकं // सर्वविद्यालतामूलं / नौमि श्रीनान्निनं | PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust