________________ धर्मः / देवता // 4 // कुमारः प्राह कल्पोऽयं / कोपस्तव निरर्थकः // निनोष्टसंपुटाः संतो। न संति महास्वरैः // ४ए / विद्यासाधकपुंसस्तु / दुर्लभ मांसशोणिते // देवयोनेर्दुराशेयं / तव चेतसि "| वर्तते // 20 // वेतालोऽपि जगादेदं / कुमारं पुरतः स्थितं // मुंच मार्ग व्रज स्थानं / यदि ते जीवनस्पृहा // 21 // कुमारः प्राह, * अद्य श्वो वा ध्रुवो मृत्यु-मित्रार्थ यद्यसौ नवेत् // तदा में किं न पर्याप्त / मरणान्न वि. नेम्यहं // 5 // अर्थाः प्राणाश्च ये यांति / गुरुदेवप्रयोजने // त एवात्र प्रशस्यते / शेषाः सं. | क्वेशहेतवः // 53 // कोऽपि केनाप्युपायेन | जीवो जीवति नृतः // देवयोने न युक्तं ते / विनं कर्तुं निरर्थकं // 24 // मलयेऽस्मिन्नहं खामी / गर्वोऽप्येष न संगतः // किं न श्रुतं त्वया वाक्यं / वीरगोग्या वसुंधरा // 55 // महाबलः प्रोवाच-रे मिन प्रथम ताव-द्भवतो मांसशोणिते / / नदयामि पिबाम्युच्चैः / पश्चादस्य दुरात्मनः // 26 // श्त्युक्त्वा धावितो वेगा-देतालः कुमरंपति // वाहिता कर्तिका तेन / कुमारेणापि वंचिता // 27 // खामादाय तेनापि / प्रहती दक्षिणेक| रे // वेतालः पतिता तस्य / करावि च कर्त्तिका // 27 // विलदो वीदयामास / दिक्च शू. PP.AC.Gunrathasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust