________________ धर्मः | पारस चेव कासी य 5 // 1 // साकेय कोसला 6 गय-नरं च कुरु 9 सोरियं कुसट्टा य // | कंपिल्लं पंचाला ए / अहिछत्ता जंगला. चेव 10 // 2 // बाखई य सुरछा 11 / मिहिन विदेहा य 12 व कोसंबी 13 // नंदिपुरं संडिल्ला 15 / जहिलपुरमेव मलया य 15 // 3 // वश्राम व. 15 व 16 वरणा-वना 17 तह मत्तियावर दसन्ना 10 // सुत्तिमईया चेई 15 / वीवनयं सिंधुसो. वीरा 20 // 4 // महुरा य सूरसेणा 21 / पावा नंगीय 22 मासपखिट्टा 53 // सावजी य कुणा. ला. 24 / कोमोवरिसं च लाटा य 25 // 5 // सेयंवियावि य नयरी / केश्यहं च थायरियं जणियं // जत्थुप्पत्ति जिणाणं / चक्कीणं रामकहाणं // 6 // शुजा जातिः शुन्नं कुलमिति, तत्र मातृसमुडा जातिः, सावि शुजां धर्मस्य बाह्यो हेतुः, पितृसमुबं कुलं, तदपि शुनं तथैव. अथवा ब्राह्मणदत्रियवैश्यशूऽस्वरूपा जातिः, जग्रगोगशात ईक्ष्वाकुकौरव्यहरिवंशादिकं कुलमिति. तथा सु. रूपमिति शोजनं रूपं सुरूपमविकलपंचेंज्यित्वमिदमपि धर्मस्य हेतुः, यस्मादनुपहतपूर्णपंचेंडियत्व एवं जीवः संपूर्णधर्मयोग्यो जवति, न वितर इति. तथा दीर्घमायुष्कमिति; दीर्घ वर्षशतादिजीवनत्वेन प्रलंबमायुष्कं जीवितं, एतदपि धर्मस्य बाह्य कारणं, यस्मादल्पायु वो मानुष्यादिसामग्री प्रा P.P. AC, Gurratrasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust