________________ नित्यशूकराजा ये / शुकराजादिपत्रिनिः // विध्यंते तेऽचिराचंचु–घातैर्नरकपत्रिनिः // 51 // | पतंगानां गतिबेदो / यैर्वधेन व्यधीयत // प्रात्मनः सुगतिबेदं / तेनिरे ते नराधमाः // 5 // अमौलिदेहमस्तंभ / गेहं रूपमयौवनं // प्रवृत्तिक्षेत्रमस्वामि- जैन कुलमनंगजं // 53 // अस्मृ. तिश्रुतिरझानं / व्रतं धनमनर्जनं // अमूलः पादपो धर्मो / विनश्यत्यदयस्तथा // 24 // आमंतगजमाकुंथु / यजीवो रदयते दितौ // एष एव सतामिष्टो / धर्मो दुःकर्ममर्मजित् / / 55 // मुनिजे निर्दयशिरोमणिनं बाणोथी शुकराजादिकोने मारे जे, तेनने थोमा काळमांज नरकना पदिन चंचुघातोथी वांधी नाखे . // 51 / / जे वध करीने पदिजनो गतिनंग करे , ते नी. च माणसो पोतानी सुगतिनो भंग करे . // 55 // जेम मस्तकविना शरीर, स्तंन्नविना घर, यौवनविना रूप, वाडविना खेतर, नायकविना सैन्य, पुत्रविना कुल, // 53 // स्मरणविना शास्त्र, झानविना चास्त्रि तथा कमाणीविना जेम धन, अने मूळविना जेम वृक्ष तेम दयाविनानो धर्म नाश पामे . // 54 // जेक हाथीथी मांडीने कंथवासुधीना जीवनुं रक्षण कर तेज दुष्कर्मोना | मर्मोने नेदनारों धर्म सज्जनोने वहालो . // 25 // एवी रीते ते मुनिए सरनने पुण्यमार्गः / Jun Gunadnak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.