________________ धम्मि- तस्यावतामपत्ये हे / यथा युगलधर्मिणः // पुत्रो मेघजवो नाम / मेघमालाहमंगजा // 46 // सार्थ | नृपोऽन्यदा समं पत्न्या / राज्यसूत्रं विचिंतयन् // मत्वा प्रज्ञप्तिविद्यातो / जगाद सविषादधीः // 7 // पुत्रोऽयं मेघमालाया। नळ व्यापादयिष्यते // राज्यश्रीस्तदियं देवि / रस्यतेऽन्यत्र कुत्रचित् // 720 | // 8 // तत श्रुत्वा दीर्घनिःश्वासा / मुक्तोल्लासा शशिप्रना // बनार हिमसंजार-दुष्टांनोजसखं मुखे // 4 // बंधुप्रेम्णा स चाहं चा-वियुक्तावितरेतरं // ब्रामं ब्रामं नुवं रि-नंगीनिश्चक्रिवघजव नामे पुत्र तथा मेघमाला नामनी हुँ पुत्री, एम बे संतानो थयां. // 46 // एक दिवसे ते राजा स्त्रीसहित राज्यतंत्रसंबंधि विचार करतो हतो, त्यारे प्रज्ञप्तिविद्याथी जाणीने ते खेदयुक्त थश्ने बोल्यो के, // 4 // या पुत्रने मेघमालानो चार मारशे, अने तेथी हे देवी! या राज्य. लक्ष्मी कोश्क बीजाना हाथमां जश् विलास करशे. // 4 // ते सांजलीने आनंदरहित थयेली शशिप्रना लांबो निसासो नाखीने हिमना समुदयी बळेला कमलसर मुख धारण करवा लागी. // 4 // पनी बंधुना प्रेमथी ते श्रने हुं परस्पर वियोगरहित थयाथका चक्रीनीपेठे घणा प्रकारोथी था पृथ्वीपर नमवा लाग्या. // 50 // पछी हे सौम्य! बाजथी त्रीजे दिवसे हे बहेन ! है - P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aarade Tu