________________ साथ घमिन // // प्रयाणेऽप्यल्पकालीने / जनाः कुर्वति सूत्रणां // परयोकश्याणे किं / निश्चिंता हंत जंत. | वः // 5 // सामान्य रिपुनीत्यापि / न निद्रांति सुखं जनाः // नित्यं मृत्युरिपुः पार्था / मूढाः ख. स्थास्तथाप्यहो // 10 // तद्यावन्न जराज्येति / तावन्निजहिते यते // न पालिः शक्यते बधुं / प. यःपूरे पसर्पति // 11 // . . ...... शति निश्चित्य स झाती-नापृच्छ्य तदनुझ्या // कुटुंबनारं तनवे / धुरंधर श्व न्यधात् // करे , त्यारे अरेरे! परलोकनी मुसाफरीमाटे प्राणीन केम बेदरकार रहेता होशे! // // ज्यारे साधारण शत्रुना जयथी पण लोको सुखे निद्रा करी शकता नथी, त्यारे या मृत्युरूपी शत्रु हमेशां पासे रह्या जतां पण मूर्ख लोको स्वस्थ थ बेशी रहे . // 10 // माटे ज्यांसुधीमां था जरा न भावी पहोंचे त्यांसुधीमा हुं मारा हितमाटे प्रयत्न करूं, केमके जलन पर अाव्या.प. बी पाळ बांधी शकाती नथी. // 11 // . एम निश्चय करीने ते शेने पोताना संबंधितनी रजा लेश्ने तेमनी अनुमतिथी वृषनपर | जेम तेम पोताना पुत्रप्रतै कुटुंबनो चार स्थापन कर्यो. // 12 // पनी ते बुध्विान शेने संसारथी P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust