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________________ धाम्म- दिनोदयः // न सोऽयं निश्चितं मात-नेत्रांनोजनिशोदयः // 63 // दपया पापयातां / तदा मे गदिते दृशौ // रथोपरि समारोढ-मस्य नादास्यमन्यथा / / 64 // यदि धम्मिलनामा स्या-त. थाप्येष न मे प्रियः // हरिनानि समानेऽपि / किं श्रीः श्रयति दरं / / 65 / / चेदासेचनको न. 511 | त / न मातः समगस्त मे // अलं तदग्रतो गत्वा / पश्चाद्यास्याम्यहं पुनः / / 66 / / धात्री स्माह गता पश्चा-दत्से लाघवमाप्स्यसि // श्याहि चंपा तत्तत्र / कुर्याद्यत्तेऽनिरोचते // 17 // श्रुतामचंद्रसरखो . // 63 // ते वखते या दुष्ट रात्रीए मारां नेत्रो थानादित कर्या हता, नहितर हं र. थपर चडवा पण न वापत. // 64 // कदाच थातुं नाम धम्मिल हशे, तो पण ते मने प्रिय था. य तेम नथी, केमके तुल्य हरिनामवाळा पण देडकानो शुं लक्ष्मी श्राश्रय करे ! // 65 // हे माता! जो महारो प्रियतम नार मने मब्यो नथी तो हवे आगल जवाथी सयु, हुं तो हवे पा. जी जश. // 66 // त्यारे ते धावमाता बोली के हे वत्से ! जो तुं पानी जश्श तो तारी हलकाइथशे, माटे हाल तो तुं चंपापुरीमां चाल ? पनी त्यां तारी श्वामुजब करजे. // 6 // एवी री. तनी तेजनी कथा सांजव्या बतों पण जाणे बहरो थ गयो होय नहि तेम ते धम्मिले पोता. PP.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust -
SR No.036432
Book TitleDhamil Charitra Bhashantar Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Hiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1914
Total Pages205
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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