________________ धाम्मः यथा कृषन परक्षेत्र / नाग्यात्कोऽप्यनुते निधि // तथाहं राजकार्येणा-गतोऽत्र मुनिदर्शनं // 66 // / सार्य अथो रहस्य धर्मस्य / पृष्टस्तेनादिमो मुनिः॥ जगाद शारदांनोद-नादसोदरया गिरा // 67 // शृणु सौम्य दयापुण्यं / प्राज्ञैः पुण्येषु वर्यते // दृक्तेज व तेजस्सु / बलेष्विव भुजावलं // 6 // मौनमूनोदरत्वं वा / ज्ञानं दानं जपस्तपः // मोघं दयां विना सर्व-मेतकृषिरिखांबुदं // 6 // // का. | विधर्मक्रिया सिधि / नाश्नुते जीवितं विना // तस्माज्जीवितदानेन / किं पुण्यमुपमीयतां // 7 // कोश परतुं खेतर खेडतोयको नाग्यथी निधान पामे तेम राजाना कार्यमाटे आवेला एवा मने अहीं मुनिनन दर्शन थयु . // 66 // हवे तेणे धर्मनुं रहस्य पूछवाथी पहेला मुनि शरद ऋ. तुना मेघनी गर्जना सरखी वाणीथी बोख्या के, // 67 // हे सौम्य! तुं सांभळ ? जेम सर्व तेजो. मां यांखोनुं तेज, तथा सर्व बलोमां जेम जाबल तेम सर्व पुण्योमा दयापुण्यने पंमितो वखाणे 3. // 6 // जेम वरसादविना खेती तेम दयाविना मौन, ऊनोदरपणुं, ज्ञान, दान, जप अने तप, ए सघg वृथा बे. // ६ए / कोश पण धर्मक्रिया जीवितविना साधी शकाती नथी, माटे जी. | वितदानसाथे कया पुण्यनी जपमा पापी शकाय! // 70 // जो अमि तृषा मटाडे, अने फेरथी | P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust