________________ धम्मि- पि / नानोपायानहं व्यधां // 21 // जीवतो मम जायेत / लक्ष्मीरपि कदाचन // वीदयंते फलिः / मा ताः काले / दवदग्धा अपि हुमाः // २॥ध्यात्वेति देवतावाचा / सावष्टंभमना मनाक् // स र. यान्निरयाज्जीर्णो-द्यानाद्यमगृहादिव // 3 // श्तश्च लब्धचैतन्या / वसंततिलकापि सा ॥अपश्यंती प्रियं कृत्तां-त्रेव बाढमदूयत // 24 // मातः क मे प्रियोस्तीति / साथ पाक कुट्टिनी // साप्याख्यत् पुत्रि जानाति / शुद्धिं तस्याधम्यस्य कः // 25 // मा मां पुनः पुनः प्रादी-नं तस्य वळी खरेखर मने था मोटो मतिमोहज थयो ने के जेथी जिनधर्म जाण्या रतां पण निषेधेला थापघातमाटे पण में नानाप्रकारना जपायो का. // 21 // जो हुँ जीवतो रहीश तो मने कदा च लक्ष्मी पण मळशे, केमके दावानलथी बळेलां वृदो पण कोक समये फळेला देखाय . // // // एम विचारीने तथा देवताना वचनथी जरा विश्वासयुक्त थश्ने ते जेम यमना घरमांथी तेम ते जीर्ण उद्यानमांथी जलदी पागे वव्यो. // 3 / / हवे चैतन्य मब्यावाद ते वसंततिलका वेश्या पण त्यां पोताना प्रियतमने नहि जोवाथी जाणे यांतरमा कपाश् गयां होय नहि, तेम अत्यंत दुनावा लागी. // 24 // परी ते कुटणीने पुरावा लागी के हे माता! ते मारो प्रियतम | डोषा P.P.Ac, Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust