________________ धम्मि- गझः स्मर एन पुखितशरस्तस्याः प्रयाणेऽभवत् // 7 // साथ शंखपुरं प्राप्य मिलिता। सुपसूनवे // सोऽपि तां परमप्रीत्या / विदधेतःपुरेश्वरीं / / 1600 // तृणीयतिस्म तऽक्तः / सोऽवरोधवधूः पराः // यूनां हि परमप्रेम्णः / पुरो बिंदयतेंबुधिः // 1 // उक्तं ताजिरुपालब्धं / यत्तद् पलुवोऽजवत् // व दारः कसुंजस्य / तस्यां प्रत्युत रागकृत् // 2 // रहस्ताभिर्विहस्ताभि-रालोच्यत मियस्ततः / / थायातोऽयमनध्यायः / सुखानां नः सनातनः // 3 // केनापि संजनितया / कुतोऽप्यागतया तया मार्ग देखाडनारो कामदेवरूपी धनुर्धर सुजट हनो. Or || पडी ते शंखपुरमां जश्ने ते राज. पुत्रने मळी, त्यारे तेणे पण परम प्रीतिथी तेणीने पोताना अंतःपुरमा पटराणी बनावी. // 1600|| हवे तेणीमां आसक्त थश्ने ते गुणचंद्र कुमार अंतःपुरनी बीजी स्त्रीनने तृणसमान मानवा ला. ग्यो, केमके युवानोना नत्कृष्ट प्रेमपासे समुद्र बिंदुसमान यश् पड़े . // 1 // तेनए तेमाटे रा. जकुमारने जे कई नपालंज थाप्यो, ते सघळो उलटो कसुंबाप्रते जेम खार तेम कनकवतीप्रते वधारे राग करनारो थयो. // 2 // एवी रीते तिरस्कार पामेली ते स्त्रीनए एकठी थइ विचार्य के आपणने तो हवे या सदानो सुखोनो विनाश आवी पहोंच्यो. // 3 // कोण जाणे केणे जणे. PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust