________________ साद धम्मि- // 65 // यच्चेतसि न तहाचि / वाचि यत्तनं कर्मणि // स्वात्मन्येव कलिः स्त्रीणां / कथं ताः पर शर्मणे // 66 // न दानेन न मानेन / न कलानिः कुलेन न // एताः कृतांतवत्क्रूरा / जति व वशा वशाः // 67 // खेटेनायोधनं वार्डि-मज्जनं वनगाहनं // अन्य वं कृते यस्या / वश्या सा३३५ न्यस्य कस्यचित // 6 // मिमंक्षुर्मक संसार-सागरे यो नवेऊनः // स एवालिंगताद्गाढ-कावि न्या महिलाशिलां // 6 // // यावदासो मषीवेयं / कलंकयति नो कुलं / मलिना निर्मलं तावसधर्मपणाथी तेन मायानां तो महोटां घरसरखी ने एम हुँ मानुं बु. // 65 // जे तेन्ना मनमां होय ते वचनमां न होय, जे वचनमा होय ते कार्यमां न होय, एवी रीते स्त्रीनमां पोतामांज ज्यारे अव्यवस्था रहेली ने त्यारे तेन परने शीरीते सुख पापी शके ? // 66 // यमसरखी कर एवी ते स्त्रीन दानवडे, मानवडे, कलाथी के कुलथी पण पोताने वश यती नथी. / / 67 // जे. णीने माटे में विद्याधरसाथे युछ कर्यु, समुद्रमा पड्यो, तथा वनमा नटक्यो ते स्त्री वळी कोइ बीजानेज स्वाधीन . // 6 // जे माणसने तुरत या संसाररूपी समुद्रमां बुडवानी ला होय | तेणेज अत्यंत कठोर एवी स्त्रीरूपी शिलाने यालिंगन करखं. // 65 // माटे वस्त्रने जेम मषी P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust