________________ धम्मि- कुशाग्रपुरपत्तनं // 21 // युवानो यत्र खेलति / विमानेष्विव वेश्मसु // मेषोन्मेषादिचेष्टानि-म: मान्यते मानवा इति // 2 // मणिवेश्मसदोद्योते / यत्र रात्रिः प्रतीयते // विकसत्कु सुदामोदा / व्योनि च ज्योतिरीक्षणात् / / 23 // यत्र जैनगृहायस्थ-कल्याणकलशोद्भवैः // गन्नस्त्यगस्तिन्नि| प्रस्ताः / पौराणां दुरितार्णवाः // 24 // तत्रामित्रतमःस्तोमं / विजित्य विवृतोदयः // ग्रहराज श्व व्योनि / रेजे राजा परं तपः // 25 // दारोऽब्धिः पंकजं पद्मं / कलंकीदुः शठो हरिः / इत्येषु तेना पण मध्यनागमां भाववाथी तिलकसरखं जंचा सुवर्णनी ( जंचजातिना लोकोनी) शोजावायु कुशाग्रपुर नामें शहेर . // 21 // जे नगरमां देवो जेम विमानमां तेम मनुष्यो घरोमां क्रीमा करे, परंतु नेत्रना पलकारा आदिकनी चेष्टायीज ते मनुष्यो ने एम जणाय . // 12 // मणिमय घरना निरंतर प्रकाशवाळा एवा जे शहेरमां रात्रि तो मात्र प्रफुल्लित कुमुदोनी सुगंधिया तथा थाकाशमां तारा जोवाथीज जणाय ॥२३॥जे शहेरमां जिनमंदिरपर रहेला सुवर्णकुंनोथी उत्पन्नथयेला किरणोरूपी अगस्तिमुनिए नगरजनोनां दुःखरूपी समुद्रो पीधेला . // 24aa त्यां | शत्रुरूपी अंधकारना समूहने जीतीने आकाशमां रहेला सूर्यनी पेठे उदययुक्त महातेजस्वी राजा PP.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aa adhak Trust