________________ धम्मि- सा // 10 // जवेत त्रिदशकोटीर-कोटीरत्नांचितक्रमः // प्रचस्सिलुवनस्यापि / प्राकृतैः सुकुतैर्जिनः पाला॥ 11 // जीवाः सुखेबवः सर्वे / सुख धर्मात्प्रजायते / जीवनं तस्य कारुण्यं / प्राहः स्तन्यं शिशो. खि // 12 // यथा मौलिः प्रतीकेषु / हृषीकेषु यथेदणं // यथा सुरफुः सालेषु / विशालेषु यथा ननः // 13 // यथा हरिरमर्येषु / मर्येषु च यथा नृपः / / दयाधर्मस्तथा धर्म-कृत्येषु स्यात्पुरस्सरः // 14 // युग्मं // सत्यशीलतपोऽस्तेय-पांडित्यप्रमुखोऽखिलः / / गुणग्रामः कृपाहीनो / निर्नाथनगरोपमः // 15 // आरोग्य जाग्यसौजाग्य-रूपनुपादिसंपदः // कृपाबुतालतायाः स्यात् / पुष्पौसुकृत्योथीज देवताधोना मुकुटमा रहेला क्रोडोगमे रत्नोथी पूजाएला चरणवाळा अने त्रणे जुवः नना पण स्वामी थाय. // 11 // सर्व प्राणिन सुखना अनिलाषी ने अने ते सुख धर्मधीज था. य, तथा जेम बालकनुं जीवन स्तनपान ने तेम धर्मनुं जीवन दया ने // 12 // अवयवोमां जेम मस्तक, इंडियोमा जेम चक्षु, वृदोमां जेम कल्पवृदा, विशालपदार्थोमां जेम अाकाश, देवोमां जेम इंद्र, तथा मनुष्योमा जेम राजा तेम धर्मकृत्योमा दयाधर्म मुख्य // 13 // 14 // सत्य शी स तप चोरीनहि करवी ते अने विद्वता विगेरे सघळा गुणोनो समूहदया विना निर्मायकनगरसमः / P.P.AC. Gunratnasuri M.S. . Jun Gun Aaradhak Trust