________________ धम्मि- येन / जानी नाम मामकं // 7 // अथो किंचिधनबलात् / किंचिदपुरुपक्रमात् // स विना. माई व्य भुवं जव्यां। तमागं निरपीपदत् / / 700 // समये ग्रीष्मजीष्पल-वारिणा मेघवारिणा // सत्रा | मनोरथैस्तस्या-पालिप्रांतमपूरि तत् // 1 // छाया गयाऽमैरेव / वारिपूर्णेऽपि पवते // दृष्टिः | स्पष्टापि शोनेत / किमु नूवल्लरी विना // 5 // श्यसौ कुंदमाकंद-मुख्यान वृदानरोपयत् / / तत्पा. लौ पालितास्तेन / ते निजांगा वाजवन् // 3 // विधाप्य स्वोचितं देव-कुलमाराममंडनं / स न जोश्ने कक धनबलथी तथा कक शरीरबलथी त्यां एक तळाव बनाव्यु. // 70 // पी व र्षाकाळमां ननाळानी जयंकरताने वारनारा वरसादना जलथी तेना मनोरथसाथे ते तळव बेक पानी किनारीसुधि भरा गयु. // 1 // जलथी घरेला तळावमां पण गयावान वृदोयीज ग. या थ शके में, केमके एकली अांख नमरविना कई शोभे ? // 2 // एम विचारीने तेणे ते त. बावने किनारे मोलर बायादिक वृदो रोप्या, तथा तेनुं रक्षण कर्याथी तेन पोताना . गनीपेठे जबरी श्राव्यां. // 3 // पछी त्यां ते बगीचाने शोगावनारुं एक देवमंदिर पोतानी शक्ति मुजब करावीने तेमां तेणे पोताना अभिष्ट देवनी मूर्ति स्थापन करी. ॥धा पनी ते कहेवातो बा. Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC. Gunratnasuri M.S.