________________ धम्मि- लानात् / स्त्रीपाशान पुनर्नरः // 91 // पित्रादिषु प्ररूढस्य / स्नेहस्यापि न उर्घटं // धान्यवद्दलनं / सार्थ यत्र / स्त्रीघरट्टः स नूतनः // 55 // यत्कर्माऽदीर्घदृश्वानः / कुर्वति कुमतीरिताः // कालेऽनुशेरते तेन / तेऽनिशं स श्व विजः // 3 // तथाहि१४ कोलाकसन्निवेशेऽद् / जूदेवः सोमिलानिधः // बाल्ये त्यक्तः पितृन्यां यो / दारिद्येणाहतः | अहो! पोष मासनी रातिसरखी स्त्री जाड्यथी (मूर्खाश्थी) वर्ते . // ए०॥ मत्स्य पण जाल. मांथी मूकाय , पदी पण पाशमांथी बुटी जाय , तथा हाथी पण तेना बंधस्तंचथी बुटी जाय बे, परंतु पुरुष स्त्रीना पाशथी बुटी शकतो नथी. // 1 // ज्यां स्त्रीरूपी आश्चर्यजनक घंटी रहेली बे, त्यां मातपितादिकमां नत्पन्न थयेला स्नेहनुं पण धान्यनीपेठे दनवं कई असंजवित नथी. // // ए॥ जे माणसो कुमतिथी प्रेराश्ने दीर्घदृष्टि पहोंचाड्याविना कार्य करे , तेन पाउळयी ब्राह्मणनीपेठे हमेशां पश्चात्तापमां पडे . // 53 // ते ब्राह्मणनुं दृष्टांत कहे - ___ कोल्हाकनामे गाममां सोमिल नामे एक ब्राह्मण रहेतो हतो, परंतु बाल्यपणामां ज्यारे मा. तापिताए तेने तजी दीधो, त्यारे दारिद्ये पागे तेने ग्रहण कर्यो. / / 64 पी तेणे लोकोपा. P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust