________________ __ अर्थः-ते नगरमां जितशत्रुनामे राजा अखंडपणेराज्य करतो हतो, के जेनो यशरूपी हंस जगतरूपी कमलपर देवकीपुत्र क्रीडा करतो हतो. // 2 // MO पुनांगस्तत्र पुरे। श्रेष्ठी न्यवसद्गुणप्रिया श्रेष्ठः // सुलसेत्याख्या तस्या-मलशोलगुणा प्रेयसी प्रवरा की - अर्थः ते नगरमां गुणोनी लक्ष्मीथी शोभितो पुनागनामे शेठ वसतो हतो, अने तेने निर्मलशीलरूपी गुणो वाळी सुलसानामनी उत्तम स्त्री हती. // 3 // hष विनयनयोपेता-स्तस्याः सुताश्चंद्रचारुकीर्तिभराः॥ आयस्तिलकयशाःश्री-अनंतसेनस्त्वजितसेनः // 10अनिहतरिपुश्चतुर्थः / सुदेवसेनश्च शत्रुसेनश्च // एते क्रमेण जाता। भूमिपतिलक्षणोपेताः॥ ५॥युग्म + अर्थ:-ते सुलसाने विनयी अने न्यायगुणवाळा, तथा चंद्रसरखी मनोहर कीर्तिना समूहवाळा, अने राजाना KI लक्षणोवाळा छ पुत्रो हता, तेओमा अनुक्रमे पेहेलो तिलकयशा, बीजो अनंतसेन, बीजो अजितसेन, चोथोपा अनिहतरिपु, पांचमो सुदेवसेन, अने छठ्ठो शत्रुसेन, एम (तेओनां नामो हतां.)॥४॥५॥ युग्मं // यावत्ते तारुण्यं / प्रगतास्तरूणीमनोविनोदकरं // प्रत्येकं द्वात्रिंशत् / कन्याः परिणायिताः पित्रा // 6 // अर्थ:-पछी युवान स्त्रीओने आनंद उपजावनारी यौवन अवस्थाने ज्यारे तेओ पाम्या, त्यारे पिताए ते दरेकने SISeeeeeeeeeeeeee SCH dunratnasurn MS. dur Gup ARMY