________________ अतिदुःखित थइने तुरत स्वजनोनी समक्ष तेने कह्यु के, // 9 // देवकात्र वत्स त्वं व्रतवार्ता / विमुञ्च भोगान् भंगुरान् भुंव // तारुण्येऽस्मिन्नधुना / प्राज्यं राज्यं समादाय one चरित्रम् 28 // अर्थ:-हे वत्स ! तुं आ युवावस्थामा हमणां दीक्षानी वात तजी दे ? अने मनोहर राज्य ग्रहण करीने अवि- // 28 // |च्छिन्नपणे भोगो भोगव? // 10 // सस्नेहमसौ हरिणा / प्रकाममभ्यर्थितोऽपि दृढचित्तः // बतभावं नामुंचत् / ततो हरिः प्राह गलदश्रुः 11 अर्थ:-एरीते श्रीकृष्णे प्रेमपूर्वक तेनी घणी प्रार्थना कर्या छतां पण दृढ हृदयवाळा ते गजसुकुमाले दीक्षानो भाव तज्यो नही, त्यारे श्रीकृष्ण (आंखोमां) आंसु लावी बोल्या के, // 11 // ... वत्सवयं वांछाम-स्तवैकदिनमेव राज्यभोगमपि // दृष्टुं स्पष्टं योगं / गृह्णीयाः सत्वरं तदनु // 11 // o अर्थ:-हे वत्स ! तारा फक्त एक दिवसनाज राज्यभोगने पण स्पष्टपणे जोवाने अमो इच्छिएछीए, त्यारवाद ! तुरत चारित्र ग्रहण करजे? // 11 // प्रीयंतामित्येते / स्तोकविलम्वादलं तु कृतमौने // गजसुकुमाले शौरिः / स्वजनानाकार्य तत्कालं // 12 // .. अर्थः-थोडा समयना विलंबधी भले आ लोको राजी थाओ ? एम विचारी गजसुकुमाल मौन रहेवाथी, तेज Juri con Adriana Beesseese eleeeeeeeeeeee CeCeele