________________ // 22 // 22 // कसा तारुण्यं प्राता / दधती सर्वोत्तम जंगति रूपं // स्वैर क्रीडंती कृत-शृंगारास्त्यालिभिः साकं // 85 // देवकीपुत्र ___ अर्थ:-ते कन्या यौवनवय पामीने जगतमा सर्वथी श्रेष्ट रूपने धारण करती हती, तथा सर्व शृंगार सजीने सखी- चरित्रम् ओसाथे पोतानी इच्छामुजब क्रीडा.करती हती. // 86 // IPE या ताहगुरूप-भियमेता मतनुकांतिकांतांगां // बन्धु हितेषी विष्वक्-सेनश्चेतस्यथो दध्यौ // 86 // ____ अर्थ:-तेवी मनोहर रूपलक्ष्मीवाळी, तथा अति कांतिथी दीपी निकळे शरीरवाळी, ते कन्याने जोइने, के भाइर्नु हित इच्छनारा श्रीकृष्णं पोताना मनना विचारवा लाग्या के, // 86 // 12 योग्यैषा मवन्धो-गैजसुकुमालस्य रूपगुण तुल्या // ज्ञातपितृमातृजातिः / स्वपुरुषेभ्यस्ततोऽवादीत / / ___अर्थः-रूप अने गुगोथी तुल्य एवी आ कन्या मारा आ गजसुकुमाल भाइने परणाववा योग्य छे. पछी पोताना माणसो पासेंथी तेणीना मातापितानी जाति जाण्याबाद तेणे (ते माणसोने) कम्युं के, // 87 // lo भो भद्रा गत्वा धन-कोटीदानेन सोमिलं विप्रं // संतोष्यार्थयत. कनी-मैनां मेऽनुजवरस्थाथें // ano अर्थ है भद्रो! तमो जइने क्रोड द्रव्यना दानथी सोमिलब्राह्मणने खुशी करीने म्हारा आ न्हाना भाइ गजसुकुमालने परणाववा माटें आ कन्यानी मागणी करो.॥८॥ SSCCCCCASSOCCccess aekCCCCCCESESEG Jun Gun Aaradhak hatnasun MS