________________ कालिक स्वाध्या // 4 // KASA KARAAKARE स्थान अढार ए लखो, जेह दे पापना कंदरे // ग ॥१॥प्रथम हिंसा तिहां बमोए, जुन नवि || जांखीए वेंणरे // तण पण अदत्त नवि लीजीए, तजीएं सव मेहुण सयणरे // ग० // 2 // परिग्रह || य.६-७ मूळ परिहरो, नवि करो जोयण रातरे // बांडो उकाय विराधना, नेद समजी सहु नांतरे ॥ग० // || 3 // अकल्प थाहार नवि लीजीए, उपजे दोष जेह मांहो रे // धातुनां पात्र मत वावरो, गृह || तणां मुनिवर प्राही रे // ग० // 4 // गादीए मांचीए न बेसीए, वारीए शय्या पलंगरे // रात || P रहिए नविते स्थले, जिहां होवे नारी प्रसंगरे ॥ग // 5 // स्नान मजान नवि कीजीए, जीणे || 4 हुवे मन तणो दोजरे // तेह शणगार वली परिहरी, दंत नख केश तणी शोजरे // ग० // 6 // 3 बढे अध्ययने प्रकाशीयो, दसवैकालिक एह रे // लानविजय गुरु सेवतां, वृद्धिविजय लह्यो तेह | रे // ग ॥७॥इति // 6 // // कपूर हुवे अति उजलोरे, ए देशी // साचुं वयण जे लांखीये रे, साची नाषा तेह॥ सच्चा | मोसा ते कहीये रे, साचुं मृषा होय जेह रे // 1 // साधुजी करजो नाषा शुरु // करी निर्मल निज ||4|| || घुकिरे // सा // कर // ए बांकणी // केवल जूव जिहां होवे रे, तेह असच्चा जाण // साचुनहि Jun Gun Aardh Gunratnasuri MS