________________ RANSARKAHAS || कण लुणस्युजी, नेटता जे दिये दान // ते कल्पे नहि साधुनेजी, विहरतुं अन्न ने पान ॥सु० // 3 |6 // स्तन अंतराय बालक प्रतेजी, करीने रमतो उवेइ // दान दिये उलट जरीजी, तोहि ते साधु | है वरजेय // सु० // 7 // गर्जवंतो वली जे दोयेजी, ते पण अकलय होय // माल नोसरणी प्रमुखे / |चमीजी. आणी दीये कल्पे न सोय // सु०॥ // मूल्ये आएयुं पण मत लीयोजी, मत लीओ || करी अंतराय // विहरता थंने खंजादिकेजी, न अमको थोर वो पाय // स॥ ए॥ एणिपरें / 13 दोष सवी मीनेजी, पामोये थाहार जो शुद्धि // तो लिये देह धारण जणीजी, अण लहे तो | तपवृष्॥ि सु० // 10 // वयण लजा तृषा नुखनाजी, परिसहथी थोर चित्त // गुरु पासे रिया| वही पडीकमीजी, निमंतर साधुने नित // सु० // 11 // शुद्ध एकान्त गमे जश्जी, पझिकमी ||3 है| इरियावही सार // जोयण दोष सवि बांमिनेजो, थोर थइ करवो आहार // सु० // 12 // दश. वैकालिक पांचमेजी, अध्ययने कह्यो ए आचार॥ ते गुरु लाजविजय सेवतांजी, वृद्धिविजय जयकार // सु० // 13 // इति // 5 // ____ दान उलट जरी दीजीये, ए देशी // गणधर सुधर्म एम उपदीसे, सांजलो मुनिवर वृंदरे // ISSNESS IGunratnasuri M.S Jun Gun Aaradh