________________ AASARAM-AAAEX नमः श्री सर्वज्ञाय. ॥श्री वृद्धिविजयजी विरचित दशवकालिक स्वाध्याय // // सुग्रीव नयर सोहामणुजी // ए देशी // श्री गुरुपद पंकज नमोजी, वली धरी धरमनी | 8 बुद्धि // साधु क्रिया गुण नाखश्युंजी, करवा समकित शुझि॥१॥ मुनिसर धरम सयल सुखकार, | 8// तुम्हे पाळो निरतिचार मुनिसरण ए आंकणी. जीवदया संजम तवो जी, धरम ए मंगल रूप // | जेहना मनमां नित वसेजी, तस नमे सूर नर नूप // मु० // 2 // न करे कुसुम किलामणाजी, 18 विचरतो जिम तरबूंद // संतोषे वली श्रातमाजी, मधुकर ग्रही मकरंद // मु॥३॥ एणि परे मुनि घर घर भमोजी, लेतो शुद्ध थाहार // न करे बाधा कोइने जी, दीए पिंडने आधार // मु० // 4 // पहिले दशवैकालिके जी, अध्ययने अधिकार // जाख्यो ते बाराधतां जो, वृद्धिविजय | || जयकार // मु० // 5 // इति // 1 // // सोल सोहामणु पालीए, ए देशी // नमवा नेमिजिणंदने, राजुल रुमी नारीरे ॥सील सु. INIAC. GunratnasuriM.S. Jun Gun Aarad