________________ प्रकाशकीय निवेदन * 'पंच-परमेष्ठि-गुणमाला' आदि चार कृतिओनो एक उत्तम संचय प्रकट करतां अमे अति आनंदनो अनुभव करीए छीए. परमपूज्य आचार्य श्रीमद्विजय-धर्मधुरन्धरसरीश्वरजी महाराजे पोताना दीक्षा-पर्यायना गालामां निरंतर तपःसाधना अने साहित्य-सर्जनामां बहुलक्षो साहित्यनु सर्जन कर्यु हतुं / तेओ आडवर-विहीन जीवन जीवता हता, पण क्रियामा सर्वोच्च लक्ष्यने पहोंचवा माटे जैनशासनने आवी आवी सुन्दर कृतिओ आपी गया छे, के जेमां अध्यात्म, योग, दर्शन, साहित्य, व्याकरण, क्रिया-काण्ड, धर्म, भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, मन्त्रशास्त्र, स्तुति विगेरे सर्वसुलभ रीते काव्यरूपमां अथवा गद्यरूपमा संस्कृत, हिन्दी, प्राकृत अने गुजराती-भाषाओमा छटापूर्ण रचित छे. आवा परमउपकारी गुरुदेव श्रीसूरीश्वरजी महाराज नी घणी रचनाओ पहेलां प्रकाशित थई चुकी छे, छतां हजु घणुं प्रकाशन बाकी छ / श्रीसूरीश्वरजीनी भावना मुजब तेओश्रीना ग्रन्थोने प्रकाशित करवानुमार्गदर्शन वर्तमान पूज्य आचार्य भगवंत अने तेमना शिष्यवृन्दगणिवरो, मुनिवरो वडे अमने मळी रह्य छे. तेमां पण पूज्य पंन्यास श्रीधर्मध्वजविजयजी गणी महाराज पोते खूब परिश्रम लई तेमनां अप्रकाशित साहित्यनु सम्पादन, संशोधन विगेरे करी छपाववा माटे प्रेरणा आपी रह्या छे, ते अमारुं सद्भाग्य छे. आ ग्रंथ-चतुष्टयनो संचय उज्जैन स्थित डॉ० रुद्रदेव त्रिपाठीजी (एम.ए, पी-एच.डी डी लिट्.) आचार्य महाराजश्री प्रत्ये श्रद्धा धरावी, प्रस्तावनाथी संयुक्त करी पोतानां निर्देशनमां सुन्दर मुद्रण कराव्यु छे, तदर्थ 'स्याद्वादामृत-प्रकाशन-मंदिर-ट्रस्ट-पालीताणा' तरफथी तेमनो आभार मानीए छीए. -प्रकाशक P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust