________________ 43 सुशीला साथ विवाह रचाया और दहेज में अतुलित धन-धान्य, वस्त्रालंकार और हाथी-घोड़े प्रदान कर कन्या को विदा किया। सुरसुन्दरी का पाणिग्रहण कर राजकुमार हरिषेण के राजगृही लौटने पर नगरजनों ने सोत्साह उनका स्वागत किया। समस्त नगर में विद्युत मालाएँ प्रज्वलित की गयी। हाट-हवेलियाँ और राजमार्गों को सजाया गया। स्थान-स्थान पर पुष्प वृष्टि कर तथा जयनादों के मध्य उनका भव्य सत्कार किया गया। राजा गुणसेन की सारी चिन्ताएँ दूर हो गयीं। अब वह निश्चिंत हो, राजकाज में ध्यान लगाने लगा। * * * इधर राजा मानसिंह अपनी द्वितीय कन्या के लिये प्रायः चिंतित था। अब वह भी सयानी हो गयी थी। उसका विवाह रचाना अत्यावश्यक था। उसने सुलोचना के लिये योग्य वर ढूँढ लाने के लिये स्थान-स्थान पर राजदूत रवाना किये। कुछ अवधि व्यतीत हो जाने के अनन्तर राजदूतों ने लौट कर जो सूचनाएँ दी, उससे ज्ञात हुआ कि, क्षितिप्रतिष्ठत नामक एक नगर है। वहाँ विजयसेन नाम का एक बलाढ्य एवम् परम प्रतापी राजा राज्य कर रहा था। उसका नाम सुनते ही शत्रुगणों के हृदय काँप उठते थे और कलेजा मुँह को आता था। वह सौन्दर्य की प्रतिमूर्ति होने के साथ-साथ अनेक विध गुणों से युक्त था। अतः सभी दृष्टि से राजकुमारी सुलोचना के लिये योग्य पात्र था। मानसिंह ने शीघ्र ही राजा विजयसेन को संदेश प्रेषित कर उसके साथ राजकुमारी सुलोचना की मंगनी की कामना व्यक्त की। प्रत्युत्तर में राजा विजयसेन ने उनकी माँग स्वीकार कर अपनी ओर से सम्मति प्रदर्शित की। फल स्वरूप दोनों पक्ष विवाह की . तैयारी जोरशोर से करने में मग्न हो गये। राजा मानसिंह ने निर्धारित शुभ प्रसंग पर उपस्थित रहने के लिये युवराज भीमसेन एवम् परिवार को अत्याग्रह भरा निमन्त्रण प्रेषित किया। और शुभ मुहूर्त में राजा विजयसेन तथा राजकुमारी सुलोचना लग्नग्रंथी में आबद्ध हो गये। कन्या को विदा कर राजा मानसिंह ने राहत की साँस ली। संयम-पथ पर एक बार प्रातः स्मरणीय परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्रीमान् चन्द्रप्रभसूरि महाराज साहब का अपने शिष्य-समुदाय के साथ राजगृही में आगमन हुआ। आचार्य भगवन्त की आकृति दिव्य एवं प्रभाव शाली थी। उनके दर्शन मात्र से समस्त सांसारिक परिताप शांत हो जाते थे। आचार्य श्री बड़े विद्वान् और सभी शास्त्रों के परम ज्ञाता (पारंगत) थे। उनकी वाणी अत्यधिक प्रभावोत्पादक हो, वह बड़ी ही सरलता एवं सहजता से श्रोताओं P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust