________________ आचार्य श्रीमद् अजितसागरसूरीश्वरजी इम भीमसेन चरित्र के लेखक हैं पू. स्व. आचार्य श्रीमद् अजितसागरसूरीश्वरजी म.मा. हैं, जो योगनिष्ठ 108 ग्रंथ प्रणेता आचार्यदेव श्रीमद् बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म.सा. के पट्टधर शिष्य थे, वे कवि, वक्ता और प्रौढ लेखक रूप त्रिवेणी के स्वामि थे। ___आपका जन्म बडौदा स्टेट गुजरात के शहर पेटलाद के समीप में आएँ "नार" नामक छोटे से देहात में विक्रम शती 1942 में पोषशुक्ला-५ के मंगल दिन ही हुआ था। आपका सांसारिक नाम अंबालाल था और आपश्री 14 वर्षकी छोटी सी आय में स्थानकवासी साधु बनें थे, लेकिन विक्रम संवत् 1966 में सांप्रदायिक व्यामोह का त्याग करके वे प.पू. योगनिष्ठ आचार्य भगवंत श्रीमद् बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म. के पास श्वेताम्बरीय देरावासी साधुपने का हिम्मतपूर्वक स्वीकार किया और मुनिराज श्री अजितसागरजी बने / ____आप श्री को विक्रम सं. 1980 में भव्यव्यक्तित्व, अपूर्व प्रभावकता व शासनरक्षाकी अद्भूत् क्षमता को देखते हुए आचार्यपद अर्पण किया गया / तब से वे आचार्य __ श्री अजितसागरसूरीश्वरजी म. के रूप में प्रसिद्ध हुएँ। -- आप श्री का कालधर्म विक्रम संवत् 1985 में आसो शुक्ला-३ के दिन विजापुर गुजरात में पाए। सिर्फ 43 वर्ष की अल्पायु में आपने चारित्र का पालन कर अनेक मौलिक ग्रंथों का सर्जन किया। आपके ग्रंथों का अध्ययन करने वाले को आपश्री के गहरे भव्य व्यक्तित्व का परिचय सहज ही मिल जाता हैं / वैराग्य की मंझिल सर करने सच्चे सुख की दिशा में सही कदम बढ़ाने का सुनहरा अवसर इस पुस्तक से अवश्य संप्राप्त होगा। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust