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________________ 124 भीमसेन चरित्र रह कर अपने भाग्य को कोसता है और अनेकों रीति से इन दुःखों से छुटकारा पाने का प्रयल करता रहता है। परंतु अशुभ कर्म जब सरेस जैसे चिपकने वाले होते हैं, तब दुःख भी हठी होकर जीवन से लगे रहते है। फल स्वरूप मानव उससे घबराकर त्राहीमाम् कर उठता है और उससे बचने के लिये मृत्यु को अंगीकार करने का प्रयत्न करता है। ऐसी स्थिति में वह कतई नहीं जानता, कि जीवन की डोर को एक क्षण में काटना उसके वश में नहीं है। फिर भी वह असम्भव को सम्भव बनाने के लिये निरंतर प्रयत्नशील रहता है। मिट्टी का तेल शरीर पर छिटकता है, विषपान करता है, ॐचाई से छलांग लगाता है, कुएँ-तालाब में डूबने का असफल प्रयास करता है... चलती गाड़ी से कूदने का दुस्साहस कहता है। ऐसे हजारों प्रयल मनुष्य अपने दुःखों से व्यथित होकर करता है। किन्तु माँगने से भी मौत कहीं मिलती है? अगर ऐसा हो जाय तो फिर क्या चाहिए? संसार में सर्वत्र सुखी मानव ही दिखाई देंगे। भीमसेन ने भी मौत को निमन्त्रण दिया था। दुःखों से हमेशा के लिये छुटकारा पाने की चाह से गले में फाँसी का फंदा डालकर वह मौत को गले लगाना चाहता था। परंतु मौत क्या किसी पर यों सहज ही मेहरबान हुई है? सो भीमसेन पर होती? .. उसी समय एक श्रेष्ठि वहाँ जंगल में पड़ाव डाले हुए था। पड़ाव के पास सर्दी से बचने के लिये उसके सेवक वर्गने अलाव जला रखा था। ठंडी रात में अग्नि-ज्वालाएँ लपलपाती हुई उन सबको राहत दे रही थी और आसपास के प्रदेश को प्रकाशित कर रही थी। __अलाव की धुंधली रोशनी में अचानक सेठ की दृष्टि भीमसेन पर गयी। उन्होंने देखा और चौंक पड़े कि एक व्यक्ति गले में फाँसी का फन्दा डालकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर रहा है और क्षण भर का भी विलम्ब किये बिना वह तलवार लेकर उधर दौड़ पड़े। उनका हृदय करूणा से भर उठा। अन्तर्मन रो उठा... सेठ जैन धर्म के सच्चे अनुयायी थे। उनका कोमल हृदय इस दृश्य को देख नहीं सका। आते ही तलवार के एक वार से उन्होंने उसके गले का बन्धन काट डाला और गिरते हुए भीमसेन को लपक कर बाँहों में झेल लिया। तत्पश्चात् उसे नीचे लिटाकर गले का बन्धन काट डाले और पंखा झेलने लगे। इस बीच सेठ के अन्य साथीगण भी घटना स्थल पर आ पहुंचे। - एक जवान पुरुष को आत्महत्या करते देख, चिंतित हो गये। फाँस तो आखिस फाँस ही होता है। वह तो अपना कार्य करेगा ही, उस जड निर्जीव को कहाँ बुद्धि कि यह विचार कर सके कि अमुक व्यक्ति को नहीं मारा जाय और अमुक को मारा जाय। वह तो अपनी प्रकृति अनुसार कार्य को अंजाम देगा ही। फाँस लगने से भीमसेन का P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036420
Book TitleBhimsen Charitra Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitsagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year1993
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size241 MB
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