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________________ जिन सार। सुखदातार // 6 // आठ करम करम हरे सब जगत माहिं (189) अध्यात्मपंचासिका। दोहा। जसके बंधम, बँधे जीव भववास / सब गुन भरे, नमी सिद्ध मुखरास // 1 // पाहिं चहु गतिवि, जनम-मरन-यस जीव / पाहिं तिहु कालमें, चेतन अमर सदीय // 2 // माहिं सेती कभी, जगम आवे नाहिं। जीव सदीव ही, कम काटि सिब जाहिं // 3 // मुकति माह मोख माहिं (188) अहम धान नदी गिर बन पुर, पूरववत सोल जिल अनुक्रम नाम फेर अरु कछुना, बंदी बीसौं सुखदातार सवैया इकतीसा। सीमंधर जुगमंधर औ सुबाहु बाहुजी, सुजात स्वयंप्रभजी नासौ भव-फंदना। रिखभानन अनंत वीरज सौरीप्रभजी, विसाल वज्रधार चंद्राननकौं वंदना // भद्रवाहु स्रीभुजंग ईस्वरजी नेमि प्रभू , वीरसेन महाभद्र पापके निकंदना। जसोधर अजितवीर्ज वर्तमान वीसौं जी, द्यानतपै दया करौ जैसैं तात नंदना // 7 // कवित्त (31 मात्रा)। जहां कुदेव कुलिंग कुआगम,-धारक जीव छहौं नहिं कोय। तीन वरन इक जैन महामत, तहां पट् मतको भेद न होय चौथा काल सदा जहां राजै, प्रलैकाल कब ही नहिं जोय" तप करि साध विदेह होत सो,भूविदेह सरधैं बुधसोय इक सौ साठ विदेह विराजै, वीसौं तीर्थंकर नित ठाहिं। कौन जिनेस्वर कौन थानमैं, यह व्यौरा सब जानैं नाहिं। द्यानत जाननि कारन की., हंसौ मती हौं सठ बुधिमाहिं। जिह तिहभांति नाम जिन लीजै,कीजैसवसुखदुखमिटिजाहि। दोहा। वीसौं तीर्थकर उहां, इहां न जाने कोय / सरधा निहचै मन धरै, सम्यक निरमल होय // 10 // .. इति वर्तमानवीसी-दशक / परव कर्म उदोतते, जीव करै परनाम। मदिरा पानते, करै गहल नर काम // 4 // जाते बांधै करमकों, आठ भेद दुखदाय / में चिकने गातपै, धूलि पुंज जम जाय // 5 // र तिन कमेनिके उदै, करै जीव बहु भाव / कै बाँधै करमकों, यह संसार सुभाव // 6 // सभ भावनतें पुन्य है, असुभ भावतें पाप / दह आच्छादित जीव सो, जान सकै नहिं आप // 7 // चेतन कर्म अनादिके, पावक काठ बखान / पीर नीर तिल तेल ज्यौं, खान कनक पाखान // 8 // लाल बंध्यौ गठरी वि, भान छिप्यौ घन माहिं। सिंह पीजरेमैं दियौ, जोर चलै कछु नाहिं // 9 // नीर बुझावै आगिकों, जलै टोकनी (?) माहिं / देह माहिं चेतन दुखी, निज सुख पावै नाहिं // 10 // जदपि देहसौं छुटत है, अंतर तन है संग। सो तन ध्यान अगनि दहै, तब सिव होय अभंग // 11 // देह माहि जाटत है, अवसिव होय Scanned with CamScanner
SR No.035338
Book TitleDhamvilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDyantrai Kavi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1914
Total Pages143
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size61 MB
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