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________________ 269 एयमिह मूलमंगलमेत्तो एयम्मि उ अइयारा एयम्मि परिच्चत्ते एयम्मि पूजियम्मी एयस्य फलं भणियं एयस्स अकरणंमी एयस्स उ संपाडणहेडं एयस्स पुव्वदक्खिणभागेणं एयस्स समत्तीए एया पवज्जियव्वा एयाणुसारतो खलु एवं अचलादीसुवि एवं आणाऽऽराहणजोगाओ एवं आयइजणगो एवं उक्कोसेणं एवं एसो कप्पो एवं कप्पविभागो एवं कहंचि कज्जे एवं च अहिनिवेसा एवं च दसाईसुं एवं च संकिलिट्ठा एवं च होइ एसा एवं चि भावथए एवं चिय कल्लाणं एवं चिय निरुजसिहो एवं चिय मज्झत्थो एवं जा छम्मासा एवं तु इट्ठसिद्धी ? 8/31 15/28 11/14 8/41 7/44 17/25 6/38 2/18 4/29 18/47 16/27 8/35 12/7 19/34 10/38 17/5 17/41 एवं दिटुंतगुणा एवं निकाइयाणवि एवं पडिमाकप्पो एवं पडिवत्तीए एवं वयमाईसुवि एवं सामायारी एवंविहा उ णेया एवंविहाणवि इहं एवंविहेसु पायं एवं निवित्तिपहाणा एवमसंतोऽवि इमो एवमिह सावगाणवि एवोग्गहप्पवेसे एसण गवेसणऽण्णेसणा एसा उ महादाणं एसा उत्तमजत्ता एसा खलु गुरुभत्ती एसा पवयणणीती एसा य परा आणा एसा य होइ णियमा एसो एवंरूवो एसो गुणद्धिजोगा एसो चेव इह विही एसो पुण संविग्गो एसो बारसभेओ ओसरणे बलिमादी ओहेणाविसयंपि हु कंदप्पं कुक्कुइयं परिशिष्टम्-२ 14/35 16/35 18/24 19/27 10/8 12/48 11/43 17/45 13/39 7/42 1/38 5/42 12/22 13/25 8/44 9/45 2/30 9/14 11/13 7/32 16/15 7/6 4/19 11/50 19/4 5/35 11/47 4/37 17/51 7/34 18/28 19/32 14/15 10/22 4/31 6/31 5/49 1/24
SR No.035335
Book TitlePanchashak Prakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmratnavijay
PublisherManav Kalyan Sansthan
Publication Year2014
Total Pages355
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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