________________ 5. आचार्य विश्वरत्न सागर जी दिनांक 02.02.2019 को आपत्ति दर्ज की गई। 6. आचार्य विजयरत्न सुन्दर सूरीजी द्वारा दिनांक 02.02.2019 को आपत्ति दर्ज की गई / 7. आचार्य विजयअभय देव सूरीजी महाराज साहब दिनांक 03.02.2019 को आपत्ति दर्ज की गई। 8. आचार्य दौलतसागर सूरी जी दिनांक 10.02.2019 को आपत्ति दर्ज की गई। 9. आचार्य वीररत्न विजय जी दिनांक 04.02.2019 को आपत्ति दर्ज की 10. दिनांक 17.02.2019 को पुनः आपत्ति दर्ज की गई / 11. दिनांक 18.02.2019 को प्रतिष्ठा के तत्काल बाद संजय कोठारी एवं भुषण भाई द्वारा शिकायत दर्ज की गई। 12. दिनांक 03.02.2019 को पुनः शिकायत दर्ज की गई। 13. दिनांक 17.02.2019 को तपागच्छीय प्रवर समिति द्वार उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा जिसमें आचार्य ऋषभचन्द्र सुरीजी, संजय जी कोठारी, मुषण भाई शाह को अधिकृत किया गया था संजय कोठारी भुषण भाई शाह द्वारा प्रशासनीक अधिकारी एवं ट्रस्ट मण्डल को अपनी सख्त आपत्ति दर्ज कि थी ट्रस्ट मण्डल ने पुनः यह आश्वासन दिया कि 21.01.2001 के निर्णय अनुसार ही प्रतिष्ठा होगी आप निश्चीत रहे किसी नवीन प्रतिष्ठा का प्रवेश, ना ही किसी आचार्य का शिलालेख व नाम नही लिखा जावेगा कलश एवं ध्वज दण्ड पर भी कोई नाम अंकित किया जावेगा और तीर्थ परिसर में खडे होकर प्रभु के समक्ष हाथ उपर कर कहाँ था कि पूर्व के निर्णय दिनांक 21.01.2001 के अनुसार ही कार्य करेंगे आप निश्चीत रहो / (1-M) दिनांक 17.02.19 को भी आपत्ति दर्ज की गई / (1-N) दिनांक 15.02.2019 को भी आपत्ति दर्ज की गई / (1-0) दिनांक 05.02.2009 में दैनिक भास्कर के माध्यम से प्रकाशीत समाचार में ट्रस्ट मण्डल ने सहमती 21.01.2001 के निर्णय अनुसार करने का आश्वासन दिया दैनिक नई दुनिया 04.02. दिनांक 03 फरवरी को उज्जैन स्थित 22 श्री संघो के प्रतिनिधी एवं रतलाम, मन्दसौर, जावरा, निमच, नागदा, इन्दौर, राजगढ़, बदनावर, बडनगर आदि श्रीसंघ की उपस्थिती में दिनांक 21.01. 2001 के निर्णय को यथावत रखते हुए सौहार्दपूर्ण बातचीत कर ट्रस्ट मण्डल ने श्रीसंघ के सदस्यों को आश्वासन दिया कि पूर्व निर्णय अनुसार ही प्रतिष्ठा की जावेगी जो 04 फरवरी के अखबार नई दुनिया में है (1J)