________________ हुआ / पश्चात सन् 1976-77 को ट्रस्ट बनाया गया / घमडसी जुहारमल फर्म जो लगभग शताधिक वर्षों से उक्त तीर्थ का वहीवट कर रही थी, उसने दिनांक 31 अगस्त 1980 के दिन तीर्थ का संचालन श्री अवंति पार्श्वनाथ तीर्थ श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक मारवाडी समाज ट्रस्ट को सौंप दिया / इस ट्रस्ट से सभी गच्छ-समुदाय के 98 परिवार जुडे है। वर्तमान में मूलनायक परमात्मा का उत्थापन किये बिना पुनः जीर्णोद्धार किया जा रहा है / जिनालय कलशध्वजा तथा अन्य जिन बिम्बों, तपागच्छ अधिष्ठायक श्री माणिभद्रजी के प्राचीन बिम्ब आदि की प्रतिष्ठा वि.सं. 2075 माघ सुदी-१४ के दिन हुई है। तीर्थ 2 परिसर में विशाल नूतन धर्मशाला में 48 कक्ष, सुन्दर भोजनशाला है। अवन्ति पार्श्वनाथ तीर्थ के मुख्य प्रतिष्ठाचार्य तपागच्छीय बंधु बेलडी पू. आ. श्री हेमचंद्रसागरसूरिजी थे व तपागच्छ के पू. आ. विश्वरत्नसागरसूरिजी, आ. अभयसेनसूरिजी, तीर्थ जीर्णोद्धार के मार्गदर्शक खरतरगच्छीय आ. मणिप्रभसागरजी भी पधारे थे / तथा तपागच्छीय सा. इन्दुश्रीजी आदि विशाल परिवार के साथ पधारे थे / HINDI PRODOOOOOOOOOOOX 6666666666666666660 0000000000000000000 600000000000000