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________________ द्रव्यत्व गुण और परुषार्थ समकित : मनुष्य जिन चिंताओं से सबसे अधिक दुःखी रहता है वह है इष्ट (अनुकूल) का वियोग और अनिष्ट (प्रतिकूल) का संयोग। वह चाहता है कि जो चीजें उसे अनुकूल' लगती हैं, उनका वियोग न हो और जो चीजें उसे प्रतिकूल लगती हैं, उनका संयोग न हो। प्रवेश : जैसे? समकित : जैसे बालों के कालेपन का वियोग न हो और सफेदी का कभी संयोग न प्रवेश : लेकिन ऐसा होना तो प्रेक्टीकली' असंभव है ? समकित : हाँ और यह सैद्धांतिक रूप से भी असंभव है, क्योंकि हर द्रव्य में एक द्रव्यत्व नाम का सामान्य गुण पाया जाता है। प्रवेश : मतलब? समकित : द्रव्यत्व गुण का मतलब है हर द्रव्य में एक ऐसी शक्ति पायी जाती है जिस शक्ति के कारण द्रव्य की पर्याय हर समय बदलती ही रहती है। प्रवेश : द्रव्य की पर्याय ? पर्याय तो द्रव्य के गुणों की बदलती है न? समकित : द्रव्य की पर्याय का मतलब है-द्रव्य के गुणों की पर्याय, क्योंकि हम जानते हैं कि हर द्रव्य में अनंत गण होते हैं, जिनकी पर्याय हर समय बदलती रहती है। जैसे गुणों के समूह को द्रव्य कहते हैं, वैसे ही अनंत गुणों की एक समय की पर्यायों को सामूहिकरुप-से द्रव्य की पर्याय कहते हैं। प्रवेश : मतलब जिस समय द्रव्य की नयी पर्याय उत्पन्न होती है. उससे अगले समय वह नष्ट हो जाती है व उसी समय नयी पर्याय उत्पन्न होती है? 1. favored 2.seperation 3.unfavored 4.practically 5.theoretically 6.state 7.collectively 8.occur 9.destroy
SR No.035325
Book TitleSamkit Pravesh - Jain Siddhanto ki Sugam Vivechana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangalvardhini Punit Jain
PublisherMangalvardhini Foundation
Publication Year2019
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size117 MB
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