________________ 20 194 200 203 207 212 216 219 225 229 भाग -7 पाँचवे गुणस्थान वाले श्रावक के दैनिक कर्म पूजा पूजा के प्रकार और उसका फल छठवे-सातवे गुणस्थान वाले मुनिराज के महाव्रत मुनिराज की पाँच समिति मुनिराज की तीन गुप्ति और पाँच-इन्द्रिय विजय (निग्रह) छः आवश्यक प्रतिक्रमण देव-स्तुति (संकलित) भाग - 8 गुणस्थान उपशम और क्षपक श्रेणी बहिरात्मा-अंतरात्मा-परमात्मा पाँच-भाव अनेकांत और स्याद्वाद षट्कारक चार अभाव भगवान राम बारह भावना (संकलित) मैं कौन हूँ आया कहाँ से ? और मेरा रूप क्या ? सम्बन्ध दुःखमय कौन है ? स्वीकृत करूँ परिहार क्या ? इसका विचार विवेक पूर्वक, शान्त होकर कीजिये। तो सर्व आत्मिक ज्ञान के, सिद्धान्त का रस पीजिए / / किसका वचन उस तत्व की, उपलब्धि में शिवभूत है। निर्दोष नर का वचन रे ! वह स्वानुभूति प्रसूत है / / तारो अरे ! तारो निजात्मा, शीघ्र अनुभव कीजिये। सर्वात्म में समदृष्टि हो, यह वच हृदय लख कीजिये / / -अमूल्य तत्व विचार आत्मभ्रांति सम रोग नहि, सद्गुरु वैद्य सुजाण / गुरु आज्ञा सम पथ्य नहि, औषध विचार ध्यान / / -आत्मसिद्धि 236 244 252 257 263 269 277 284 291