________________ 17 विश्व प्रवेश : भाईश्री ! स्तवन' में आता है कि भगवान सर्वज्ञ हैं, यानि वे सब कुछ जानते हैं। कृपया बताईए वे क्या-क्या जानते हैं ? समकित : जो कुछ विश्व में है वह सब भगवान जानते हैं। प्रवेश : विश्व में क्या-क्या है ? समकित : विश्व में वस्तुएँ हैं। जिस चेयर पर तुम बैठे हो वह भी एक वस्तु है, यह पुस्तक भी एक वस्तु है, यह ब्लैकबोर्ड, पंखा यहाँ तक कि हम और तुम भी एक वस्तु हैं। वस्तु को ही द्रव्य कहते हैं। वास्तव में इन द्रव्यों का समूह ही विश्व है। यानि कि यह विश्व, द्रव्यों से मिलकर बना है। प्रवेश : भाईश्री ! और द्रव्य किनसे मिलकर बना है ? समकित : गुणों का समूह द्रव्य है, यानि कि द्रव्य गुणों से मिलकर बना है। प्रवेश : भाईश्री ! इसका अर्थ यह हुआ कि प्रत्येक द्रव्य, गुणों से भरपूर है ? समकित : हाँ, प्रत्येक द्रव्य में अनंत गुण हैं। गुण का अर्थ है- शक्ति। प्रवेश : भाईश्री ! किसी उदाहरणं से समझाईये।। समकित : जैसे मान लो, आम एक द्रव्य है और उसमें एक रंग नाम का गुण है, एक रस नाम का गुण है, एक गंध नाम का गुण है। ऐसे अनेक गुणों से मिलकर ही आम बना है। इसीलिए कहते है कि गुणों का समूह ही द्रव्य है। 1.prayer 2.objects 3.actually 4.group 5.attributes 6.each & every 7.ability 8.example 9.taste 10.smell