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________________ चार अभाव समकित : एक पदार्थ का दूसरे पदार्थ में न-होना अभाव कहलाता है। एक पदार्थ का दूसरे पदार्थ में अभाव होना यानि कि उनके बीच व्याप्य-व्यापक संबंध का अभाव होना। सरल भाषा में कहे तो उनका एक दूसरे का हिस्सा न होना और जहाँ व्याप्य-व्यापक संबंध का अभाव होता है, वहाँ कर्ता-कर्म संबंध का भी अभाव होता है। यानि कि जो पदार्थ एक-दूसरे का हिस्सा नहीं होते वे एक-दूसरे का कुछ भी नहीं कर सकते। प्रवेश : जैसे? समकित : जैसे आपका कोई मित्र' आपको अपनी कोई पारिवारिक समस्या सुनाता है तो आप सुन तो लेते हैं लेकिन आखिर-में यही कहते हैं कि यह तुम्हारे परिवार का अंदरूनी-मसला है और चूँकि मैं तुम्हारे परिवार का हिस्सा नहीं हूँ इसलिये मैं इसमें कुछ भी नहीं कर सकता। यानि कि किसी भी पदार्थ में कुछ भी करने के लिये हमें उसका हिस्सा होना जरूरी है यानि कि दो पदार्थों के बीच कर्ता-कर्म संबंध होने के लिये व्याप्य-व्यापक संबंध होना जरूरी है। प्रवेश : अच्छा मतलब ये चार अभाव, दो पदार्थों के बीच में व्याप्य-व्यापक और कर्ता-कर्म संबंधों का अभाव बतलाते हैं ? समकित : हाँ बिल्कुल। प्रवेश : कौन-कौन से पदार्थों के बीच ? समकित : भाव शब्द की तरह पदार्थ शब्द का प्रयोग भी द्रव्य-गुण-पर्याय तीनों के लिये किया जाता है। चार अभाव में पहले तीन अभाव, दो पर्यायों के बीच में अभाव बतलाते हैं व चौथा अभाव, दो द्रव्यों के बीच में अभाव बतलाता है। 1.substance 2.absence 3.absent 4.relation 5.part 6.absence 7.friend 8.family-problem 9.at the end 10.internal-issue 11.member/part 12.states 13.objects
SR No.035325
Book TitleSamkit Pravesh - Jain Siddhanto ki Sugam Vivechana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangalvardhini Punit Jain
PublisherMangalvardhini Foundation
Publication Year2019
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size117 MB
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