________________ गुणस्थान समकित : गुण का अर्थ है जीव के भाव यानि कि पर्याय। जीव की पर्यायों के तारतम्य' से जो चौदह स्थान बनते हैं, उन्हें चौदह गुणस्थान कहते प्रवेश : यहाँ जीव के कौन से गुणों की पर्याय लेना ? समकित : मुख्य-रूप-से जीव के श्रद्धा, चारित्र और योग गुण की पर्याय लेना, क्योंकि पहले से चौथे गुणस्थान तक का कथन श्रद्धा गुण की मुख्यता से है। पाँचवें से बारहवें गुणस्थान तक का कथन चारित्र गुण की मुख्यता से है और तेरहवें-चौहदवें गुणस्थान का कथन योग गुण की मुख्यता से है। प्रवेश : वे चौदह गुणस्थान कौन-कौन से हैं ? समकित : वे निम्न हैं: 1. मिथ्यात्व (मिथ्यादर्शन) 2. सासादन 3. मिश्र (सम्यक-मिथ्यात्व) 4. अविरत सम्यकदर्शन (सम्यक्त्व) 5. देशविरत (देश-संयत) 6. प्रमत्त-संयत 7. अप्रमत्त-संयत 8. अपूर्वकरण 9. अनिवृत्तिकरण 10. सूक्ष्म-साम्पराय 11. उपशांत-कषाय 12. क्षीण-कषाय 13. सयोग-केवली 14. अयोग-केवली 1. sequence 2. positions 3.majorly 4.prominance