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________________ समकित-प्रवेश, भाग-7 217 ऐसे निश्चय इंद्रिय विजय के साथ पाँच इंद्रिय के विषयों-की-इच्छाओं से दूर रहना व्यवहार से इंद्रिय-विजय (निग्रह) कहने में आता है। व्यवहार इंद्रिय-विजय (निग्रह) पाँच प्रकार का है: 1. स्पर्शन इंद्रिय निग्रहः स्पर्शन इंद्रिय का विषय स्पर्श है। यह मुख्य रूप के आठ प्रकार का होता है: हल्का-भारी, रुखा-चिकना, कठोर-नरम, ठण्डा-गरम। तत्वों के चिंतवन् (विचार) द्वारा इन विषयों की इच्छाओं से दूर रहना व्यवहार स्पर्शन-इंद्रिय-निग्रह कहलाता है। 2. रसना इंद्रिय निग्रहः रसना इंद्रिय का विषय रस है। यह मुख्य रूप से पाँच प्रकार का होता है: खट्टा, मीठा, कड़वा, कषायला व चरपरा। तत्वों के चितवन द्वारा इन विषयों की इच्छाओं से दूर रहना व्यवहार रसना-इंद्रिय-निग्रह है। 3. घ्राण इंद्रिय निग्रहः घ्राण इंद्रिय की विषय गंध है। यह दो प्रकार की होती है: सुगंध और दुर्गंधी तत्वों के चितवन द्वारा इन विषयों की इच्छाओं से दूर रहना व्यवहार घ्राण-इंद्रिय-निग्रह है। 4. चक्षु इंद्रिय निग्रहः चक्षु इंद्रिय का विषय वर्ण है। यह मुख्य रूप से पाँच प्रकार का है: काला, नीला, पीला, लाल व सफेद। तत्वों के चितवन् द्वारा इन विषयों की इच्छाओं से दूर रहना व्यवहार चक्षु-इंद्रिय-निग्रह है। 5. श्रोत्र (कर्ण) इंद्रिय निग्रहः कर्ण इंद्रिय का विषय शब्द है। यह मुख्य रूप से दो प्रकार का है: सुस्वर व दुःस्वर। तत्वों के चितवन द्वारा इन विषयों की इच्छाओं से दूर रहना व्यवहार कर्ण-इंद्रिय-निग्रह है। प्रवेश : यहाँ तत्वों के चितवन का क्या मतलब है ? समकित : मुख्य रूप से दो ही तत्व हैं- एक जीव और दूसरा अजीव। मुनिराज जब आत्मा में लीन यानि कि सातवें गुणस्थान में रहते है तब तो उनको शुभ और अशुभ दानों प्रकार के विषयों के सेवन की इच्छा 1.materialistic-desires 2.touch 3.taste 4.smell 5.colour 6.sound
SR No.035325
Book TitleSamkit Pravesh - Jain Siddhanto ki Sugam Vivechana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangalvardhini Punit Jain
PublisherMangalvardhini Foundation
Publication Year2019
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size117 MB
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