________________ (2 पूजा जैसा कि हमने पिछले पाठ में देखा कि पूजा दो प्रकार की होती है: 1. निश्चय पूजा 2. व्यवहार पूजा और व्यवहार पूजा भी दो प्रकार की होती है: 1. भाव पूजा 2. द्रव्य पूजा प्रवेश : मतलब, भाव-पूजा में भावों की प्रधानता' है और द्रव्य-पूजा में द्रव्य (पूजा-सामग्री) की ? समकित : नहीं। दोनों ही पूजा में भावों की ही प्रधानता है। प्रवेश : यदि दोनों में भावों की ही प्रधानता है, तो फिर द्रव्य की जरूरत ही क्या समकित : ऊँची-दशा वाले जीवों को भाव टिकाने के लिये अवलम्बन (सहारे) की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन जो जीव निचली-दशा में हैं उन्हें भावों को टिकाने के लिये अवलंबन (सहारे) की जरुरत पड़ती है इसलिये वह द्रव्य का अवलंबन लेते हैं। लेकिन यह अवलंबन भी भावों के लिये ही है। इसलिये प्रधानता तो द्रव्य-पूजा में भी भावों की ही है। भाव बिना की क्रिया कुछ भी फल नहीं देती। प्रवेश : द्रव्य (पूजा सामग्री) किस प्रकार अवलंबन है ? समकित : पूजा के समय, जब उपयोग आत्मा-परमात्मा की भक्ति से बाहर भटके तो द्रव्य को देख फिर से भक्ति में लग जाता है क्योंकि जल-फल आदि द्रव्य आत्मा-परमात्मा के गुणों के प्रतीक स्वरूप हैं। जैसे 1.significance 2.attention 3.symbol