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________________ सिद्ध-सारस्वत विदद्वरेण्य कर्मठ प्रो0 सुदर्शन लाल जैन प्रो0 सुदर्शन लाल जी का जन्म दमोह (म.प्र.) के एक गाँव में हुआ था। बचपन में ही आपको अपनी माता की मृत्यु के कारण मुसीबत का सामना करना पड़ा। आपके पिता एक शिक्षक थे एवं वे चाहते थे कि बेटा भी वहीं शिक्षक की नौकरी कर ले। मगर कुछ अलग करने की ललक आपमें थी एवं आपने वाराणसी को अपना कार्य क्षेत्र बनाया। आर्थिक संकट के कारण आपने वाराणसी के स्याद्वाद महाविद्यालय में अपना अध्ययन जारी रखा एवं यहीं आपने उच्च शिक्षा ग्रहण की तथा कलान्तर में आपने पी-एच.डी. की डिग्री प्राप्त की। आपने अपना उद्देश्य एवं लक्ष्य हमेशा आगे बढ़ने का रखा। आपको काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में लेक्चरर के पद पर चुना गया। संस्कृत विभाग में आपको कई प्रतिद्वंदियों का सामना भी करना पड़ा। मगर अपनी समझबूझ से सबका सहयोग प्राप्त किया। आर्थिक अभाव के बावजूद आपने यही ध्यान रखा कि उनके पुत्र संदीप, संजय एवं अभिषेक की एवं पुत्री मनीषा की उच्च शिक्षा मिले एवं उन्हें किसी भी प्रकार का आर्थिक अभाव न झेलना पड़े। आर्थिक परेशानियों के साथ ही साथ आपको कई भारी पारिवारिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ा। आपके बड़े पुत्र संदीप जैन को पोलियो रोग की वजह से हुई अपंगता के इलाज व शारीरिक व्यायाम के लिए हमेशा अपने कंधे पर अस्पताल ले जाना पड़ता था, जो कि एक बहुत ही मुश्किल काम था उसको भी आपने बड़ी तन्मयता तथा जिम्मेदारी से कई सालों तक निभाया। आपके अथक प्रयासों की वजह से ही पुत्र संदीप की शुरुआती शिक्षा से लेकर आई.आई.टी में सेलेक्शन संभव हो सका जिससे कि वह आज कम्प्यूटर इंजीनियर बन कर पिछले कई वर्षों से अमेरिका के कई बड़ी कम्पनियों में उच्च पद पर कार्य कर रहा है। यह सब आपके अथक प्रयास एवं कठिन मेहनत से ही संभव हो सका। आपकी धर्मपत्नी श्रीमती मनोरमा जैन भी आपकी संघर्ष में हमेशा साथ-साथ रहीं। कालान्तर में आप बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में डीन पद पर रहे। आपने पार्श्वनाथ जैन इन्स्टीट्यूट में डायरेक्टर के पद पर भी कार्य किया। आप हर काम चाहे सामाजिक हो अथा विभागीय हमेशा ईमानदारी से करते रहे। आपने अपने कुशल निर्देशन में करीब 44 छात्रों को गाईडेंस देकर पी-एच.डी. की डिग्री से अलंकृत करवाया। आपको भारत के राष्ट्रपति द्वारा संस्कृत में उच्च योगदान के लिए सम्मानित किया गया। आपके दो पुत्र संदीप जैन एवं संजय जैन इस समय अमेरिका में मैनेजमैंट के उच्च पद पर कार्यरत हैं तथा पुत्री डॉ. मनीषा जैन भी बाम्बे यूनिवर्सिटी से मेडिकल की पढ़ाई करके वर्तमान में भोपाल में डॉक्टर के पद पर कार्यरत है। आज भी डॉ. सुदर्शन लाल जैन भोपाल में अपना शोध कार्य जारी रखे हुए हैं। आप इसी तरह आगे बढ़ते रहें। डॉ. जे.के. सामरिया पूर्व प्रोफेसर एण्ड हेड डिपार्टमेण्ट ऑफ चेस्ट डिजिजेज, बी.एच.यू, वाराणसी प्रमिला सामरिया मंत्री,अखिल भारतीय दिगम्बर जैन महिला संगठन, वाराणसी
SR No.035323
Book TitleSiddha Saraswat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherAbhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year2019
Total Pages490
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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