________________ सिद्ध-सारस्वत मङ्गलाशीष डॉ. सुदर्शन लाल वर्तमान दिगम्बर जैन परम्परा के विद्वानों में वरिष्ठतम हैं। उन्होंने संस्कृत और प्राकृत भाषाओं का तलस्पर्शी अध्ययन करके शास्त्र-संरक्षण की दिशा में महत्त्वपूर्ण कार्य किया है। वे अच्छे विद्वान् होने के साथ-साथ देव-शास्त्र-गुरु के प्रति भी सच्ची निष्ठा रखते हैं। उनका जीवन विद्वानों की नवीन पीढ़ी के लिए अनुकरणीय है। उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी में संस्कृत भाषा का अध्यापन करने के साथ-साथ जैन धर्म के अनेक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों का सम्पादन कार्य किया है। जैन समाज के लिए यह अत्यन्त गौरव का विषय है कि डॉ. सुदर्शनलाल जैन के सम्मानार्थ उनके अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन वीतरागी वाणी ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है। उन्हें मेरा मङ्गल आशीर्वाद है कि वे निरन्तर स्वस्थ रहते हुए ज्ञानाराधना में संलग्न रहें और व्रतों को धारण कर अपने जीवन को सार्थक बनाएँ। प. पू. आचार्य श्री 108 विवेक सागर