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________________ सिद्ध-सारस्वत मङ्गल आशीर्वाद उच्चावचजनप्रायः समयोऽयं जिनेशिनाम्। नैकस्मिन् पुरुष तिष्ठेदेकस्तम्भ इवालयः।। - सोमदेवसूरि, यशस्तिलकचम्पू, 7/90 अर्थ - जिनेन्द्र देव का यह शासन ऐसा विशाल भवन है जो छोटे-बड़े असंख्य खम्भों पर टिका हुआ है। अनादिकाल से आज तक यह किसी एक ही पुरुष के कन्धों पर नहीं टिका है। तात्पर्य यह है कि जिनशासन की रक्षा-सुरक्षा और प्रचार-प्रसार में अनादि काल से आज तक असंख्य लोगों का योगदान रहा है और उसी से यह आज टिक कर चल पाया है, अतः हमें सभी का योगदान स्वीकार करना चाहिए, सभी को मिल-जुल कर रहना चाहिए, किसी का भी तिरस्कार नहीं करना चाहिए। प्रो. सुदर्शनलाल जी ने भी जिनशासन की प्रभावना में बड़ा योगदान किया है। उनके अभिनन्दन के अवसर पर मैं भी उनको मङ्गल आशीर्वाद प्रदान करता हूँ। परम पूज्य सिद्धान्तचक्रवर्ती श्वेतपिच्छाचार्य 108 श्री विद्यानन्दजी मुनिराज
SR No.035323
Book TitleSiddha Saraswat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherAbhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year2019
Total Pages490
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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